अजीत मिश्रा
मेदिनीनगर : मुरारी मेहता, किसान है, पर वह परेशान है. शासन का प्रयास है कि किसान व गांव में रहने वाले लोगों की आय दोगुनी हो. इसके लिए यह प्रयास किया जा रहा है कि किसान जी तोड़ मेहनत कर जो फसल पैदा करते हैं, उनका उचित दाम मिले. अॉफ लाइन से किसानों को अॉनलाइन मार्केटिंग के लिए प्रेरित किया जा रहा है, ताकि किसान आर्थिक रूप से समृद्ध हो सके. लेकिन जितनी बातें कही गयी, वह यदि कोई मुरारी मेहता के पास कहता है, तो वह आक्रोश में आ जाते हैं. कहते है कि कहने के लिए कुछ भी कहा जा सकता है.किसने रोका है? पर हो क्या रहा है यह भी तो देखिए. मुरारी का आक्रोश भी वाजिब है.
वह यदि गुस्से में है, तो उसकी भी वजह है. मुरारी पलामू के पड़वा प्रखंड के पड़वा गांव के रहने वाले हैं. किसानी कर अपने परिवार का भरण पोषण करते है. इस बार विपरीत परिस्थितियों में भी मेहनत कर धान की फसल की थी. धान की फसल हो गयी. सरकार ने धान के क्रय पर बोनस भी दिया. तय किया गया कि पैक्स के माध्यम से धान की खरीददारी की जायेगी. लेकिन मुरारी की पीड़ा यह है कि वह धान बेचने के लिए परेशान है पर कोई खरीदने वाला नही है. एक तो पहले समय पर धान क्रय केंद्र नही खुला. जब मांग उठी तो पड़वा प्रखंड के लिए गाड़ी खास पैक्स गोदाम में धान की खरीददारी शुरू की गयी. नौ जनवरी से धान की खरीदारी शुरू हुई. 13-14 को छुट्टी थी,गोदाम बंद था. उसके बाद एक दिन 15 को खुला. इसके बाद गोदाम भर गया. अब जब वे लोग धान बेचने जा रहे है तो यह कहा जा रहा है कि गोदाम भर गया है खाली होने का इंतजार करें. बताया जा रहा है कि कब तक गोदाम खाली होगा इसके बारे में भी कोई पता नही है.
क्योंकि पैक्स से जुड़े लोग यह कहते है कि भारतीय खाद्य निगम को सूचना दे दी गयी है पर वे लोग अपेक्षित ध्यान नहीं दे रहे है. ऐसे में धान का क्रय कर करेंगे क्या? खुले आसमान में तो नही छोड़ देंगे. बर्बादी होगी तो उसके नुकसान की भरपाई कौन करेगा. वजह चाहे जो भी हो लेकिन किसान परेशान हो रहे हैं. दोष पैक्स का है या भारतीय खाद्य निगम का यह जांच का विषय हो सकता है. लेकिन इस लड़ाई में मुरारी महतो जैसे कई किसान फंसे हैं. जिनके पास धान है, पैसे की जरूरत है पर धान की बिक्री नहीं होने के कारण वह दूसरे फसल में पैसे नहीं लगा पा रहे है. ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि हालात ऐसे रहे, तो आखिर कैसे किसानों की आय दो गुनी होगी?