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पहाड़ पर चढ़ कर गांव पहुंचते हैं

सुविधाविहीन है आदिम जनजाति बहुल रतनाग गांव यतीश नौडीहा (पलामू) : रतनाग गांव, आदिम जनजाति बहुल गांव है. लगभग 300 आदिम जनजाति वर्ग के लोग रहते हैं. गांव में रोजगार की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है. गांव जाने वाली सड़क सहियार के बाद बंद हो जाती है. वहां से पहाड़ चढ़ कर लोग गांव तक पहुंचते […]

सुविधाविहीन है आदिम जनजाति बहुल रतनाग गांव

यतीश

नौडीहा (पलामू) : रतनाग गांव, आदिम जनजाति बहुल गांव है. लगभग 300 आदिम जनजाति वर्ग के लोग रहते हैं. गांव में रोजगार की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है. गांव जाने वाली सड़क सहियार के बाद बंद हो जाती है. वहां से पहाड़ चढ़ कर लोग गांव तक पहुंचते हैं. प्रशासन के नाम पर कहें, तो गांववालों को कभी-कभार पुलिस के दर्शन हो जाते हैं.

क्योंकि इलाका उग्रवाद प्रभावित है, इसलिए पुलिस ऑपरेशन चलता रहता है. इसके अलावा कोई भी यहां हाल जानने नहीं पहुंचता. यह स्थिति यह बताने के लिए काफी है कि पलामू में आदिम जनजाति परिवार के लोग किस हाल में रह रहे हैं.

इस गांव के लोगों को आवास मिला, वह अभी तक अधूरा ही है. आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2005-06 में आवास का आवंटन किया गया था, इसमें से किसी तरह कर्ज लेकर मोहन बैगा,मोती बैगा, नागेश्वर बैगा,अशोक बैगा,श्यामबिहारी बैगा ने अपना आवास का निर्माण कार्य पूर्ण किया. बाकी कई आवास अधूरे रह गये. रोजगार के अभाव में पलायन भी कर गये हैं. कई बुजुर्ग बीमार हैं, जिन्हें इलाज की जरूरत है.

गांव में पेयजल की भी समस्या है. दो कुएं हैं, वह सूख गये हैं. अब आदिम जनजाति वर्ग के लोग मड़वा नदी से पानी लाकर पीते हैं. कहने को तो आदिम जनजाति के संरक्षण और संवर्धन के लिए कई योजना चल रही है, लेकिन गांव जाने के बाद वास्तविक स्थिति का पता चलता है.

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