मेदिनीनगर : नक्सली किसी बड़ी घटना को अंजाम देने के बाद भागते नहीं हैं, बल्कि घटनास्थल के आसपास ही जमे रहते हैं, वह भी घंटे-दो घंटे नहीं, बल्कि रात भर. इस दौरान वह जश्न मनाते हैं, कैडरों की मीटिंग करते हैं, उनकी हौसला अफजाई करते हैं, फिर अगली घटना की तैयारी में जुट जाते हैं.
नक्सली कैडर किसी भी कार्रवाई को अंजाम देने के बाद बेखौफ रहते हैं. इसका खुलासा नक्सलियों की एक सीडी में हुआ है. इसमें दिखाया गया है कि वारदात के बाद आसपास के इलाकों में सर्च ऑपरेशन चलाते हैं. पुलिस से लूटी गयी राइफलों का प्रदर्शन भी करते हैं.
तीन दिसंबर 2011 की है सीडी
तीन दिसंबर 2011 को लातेहार के गारू जंगल में बेतला-गारू मार्ग पर माओवादियों ने चतरा के सांसद इंदरसिंह नामधारी के काफिले पर हमला किया था. इसमें 11 जवान शहीद हो गये थे. घटना को अंजाम देने के बाद माओवादियों ने वहां जो कुछ किया, उसकी सीडी तैयार की. इस सीडी को देखने से पता चलता है कि माओवादियों की कार्यशैली क्या है.
सीडी में आवाज भी
सीडी में माओवादियों की आवाज भी है. इसमें यह कहते सुना जा सकता है कि सीएमसीइ से जो निर्देश मिला, उसी को लेकर बम चक्र परियोजना वीर शहीद नितांत ऑपरेशन के तहत तीन दिसंबर 2011 को 5.20 मिनट पर ब्लास्ट किया गया. गजब का हौसला है.
हौसले के साथ उड़ायी गयी जीप को साथी जला रहे हैं, क्या बदला लेने की भावना है, क्रांति की ज्वार है. मनमोहन सरकार के मंसूबे को हमलोग चकनाचूर कर देंगे. ऐसे एक नहीं, अनेकानेक घटना को अंजाम दिया जायेगा.
नारे भी लगाते हैं
सीडी ने दिखाया गया है कि घटना की सुबह कार्रवाई में शामिल कैडरों के साथ दस्ते का नेतृत्व कर रहा माओवादी कमांडर मीटिंग करता है. इस दौरान इंकलाब जिंदाबाद, माओवादी जिंदाबाद, सरकार व पुलिस प्रशासन मुर्दाबाद के नारे लगाये जाते हैं. दस्ता में शामिल सभी सदस्यों को यह भी बताया जाता है कि उनकी ओर से की गयी कार्रवाई, किस तरह अखबारों की सुर्खियां बनी.