जिला समाज कल्याण विभाग ने इसका आयोजन किया था. उपायुक्त श्री कुमार ने विश्व स्तनपान सप्ताह कार्यक्रम के उद्देश्य पर विस्तार से प्रकाश डाला. कहा कि 1992 में इसकी शुरुआत हुई. वर्तमान में विश्व के 120 देशों में इसे मनाया जाता है.
इसका मकसद महिलाओं को जागरूक करना है, ताकि वे अपने नवजात शिशु का पालन पोषण सही तरीके से कर सके. उपायुक्त श्री कुमार ने आंगनबाड़ी सेविकाओं को ग्रामीण महिलाओं तथा स्वास्थ्य, शिक्षा व पीएचइडी के प्रतिनिधियों के साथ समन्वय बनाकर काम करने की जरूरत बतायी. कहा कि सबकी सहभागिता से ही स्वस्थ समाज का निर्माण होगा. सेविका महिलाओं को स्वास्थ्य के संबंध में जागरूक करें. साथ ही एएनएम, स्वास्थ्य सहिया, जल सहिया एवं विद्यालय की शिक्षिकाओं से समन्वय बनाकर महिलाओं के साथ प्रत्येक माह बैठक करे और उन्हें स्वच्छता, स्वास्थ्य व बच्चों के अच्छे परवरिश के बारे में जानकारी दें.
एसडीओ नंदकिशोर गुप्ता ने कहा कि मां का दूध शिशुओं के लिए अमृत के समान होता है. इसका सेवन करने वाले बच्चे तंदुरुस्त होते हैं और उनके अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. डीइओ कुमारी मीना राय ने कहा कि स्तनपान से शिशु व मां के बीच भावनात्मक लगाव बढ़ता है. बच्चे मां के करीब होते हैं और उनके ममत्व के साये में पलते हैं.
ऐसी स्थिति में यह आवश्यक है कि महिलाएं अपने शिशुओं को सही तरीके से स्तनपान कराये. डॉ एमपी सिंह ने कहा कि मां का दूध शिशु के लिए प्रकृति द्वारा दिया गया नैसर्गिक आहार है. स्तनपान कराने से जच्चा व बच्चा दोनों को लाभ होता है. समापन समारोह के अवसर पर गर्भवती महिलाओं की गोद भराई का कार्यक्रम हुआ. उत्कृष्ट कार्य करने वाले आंगनबाड़ी सेविका संगीता देवी, शोभा देवी, आशा देवी, गुलशन आरा आदि को सम्मानित किया गया.कार्यक्रम की अध्यक्षता डीएसडब्लूओ रंजना कुमारी ने की. संचालन शालिनी बोराल ने किया. मौके पर सीडीपीओ अर्पणा कर्मकार, सुधा सिन्हा के अलावा पर्यवेक्षिका व आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका मौजूद थे.