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शिक्षा के लिए जिज्ञासा व दृष्टि जरूरी

मेदिनीनगर : उपायुक्त अमीत कुमार ने शिक्षा के लिए जिज्ञासा व दृष्टि को जरूरी बताया है. कहा है कि जिस तरह कैरियर के लिए कौशल जरूरी है उसी तरह शिक्षा में जिज्ञासा व दृष्टि जरूरी है. बेहतर परिवेश का निर्माण सृजन व समन्वय से ही संभव है. उपायुक्त श्री कुमार मंगलवार को जीएलए कालेज में […]

मेदिनीनगर : उपायुक्त अमीत कुमार ने शिक्षा के लिए जिज्ञासा व दृष्टि को जरूरी बताया है. कहा है कि जिस तरह कैरियर के लिए कौशल जरूरी है उसी तरह शिक्षा में जिज्ञासा व दृष्टि जरूरी है. बेहतर परिवेश का निर्माण सृजन व समन्वय से ही संभव है. उपायुक्त श्री कुमार मंगलवार को जीएलए कालेज में आयोजित सृजन व परिवेश व्याख्यानमाला के उदघाटन समारोह में बोल रहे थे.
विद्यार्थियों का झुकाव कैंपस के प्रति बढ़े. शिक्षा का बेहतर वातावरण तैयार हो इसे ध्यान में रखकर वर्ष-2017 में व्याख्यानमाला की शुरुआत की गयी है. व्याख्यानमाला पूरे वर्ष चलेगा. व्याख्यानमाला श्रृंखला का पहला व्याख्यान उपायुक्त श्री कुमार ने दिया. इसका विषय था-उच्च शिक्षा : स्वरूप और प्रतिस्पर्द्धा, इस विषय पर व्याख्यान देते हुए उपायुक्त श्री कुमार ने कहा कि वर्तमान दौर सूचना और तकनीक का है. इसलिए यह जरूरी है कि विद्यार्थी खुद को अपडेट रखने के लिए इससे जुड़े रहे. विद्यार्थियों को चाहिए कि वह शिक्षकों के मार्गदर्शन प्राप्त कर अच्छी किताब पढ़ने की आदत विकसित करें. क्योंकि किताब पढ़ने की आदत विकसित होने से विद्यार्थियों में ज्ञान अर्जन की भूख बढ़ेगी.
जैसे जैसे ज्ञान बढ़ेगा उसे और समृद्ध बनाने के दिशा में भी प्रयत्न करेंगे, क्योंकि शिक्षा में आधारभूत परिवर्तन आया है. पहले के समय में रटने की जो प्रवृत्ति थी वह अब पुरानी हो गयी है. इसलिए यह जरूरी है कि पढ़ाई में जो परिवर्तन आये हैं, उसे स्वीकार कर विद्यार्थी वर्तमान दौर में जो प्रतिस्पर्द्धा का है उसके मुताबिक अपने आप को तैयार कर सके. ज्ञान-विज्ञान की तकनीक बदली है. आधार भले ही प्राथमिक व मध्य विद्यालयों में तय होती है लेकिन उच्च शिक्षण संस्थान ग्रहण की हुई चीजों को अभिव्यक्त करने के बेहतर तौर तरीके बताते है.
विशेषज्ञता प्रदान करने में उच्च शिक्षण संस्थानों की विशेष भूमिका होनी चाहिए. डीसी श्री कुमार ने कहा कि जीएलए कालेज के शिक्षकों ने मिलकर जो व्याख्यानमाला की शुरुआत की है, यह एक बेहतर कदम है. इस तरह के प्रयास से एक बेहतर वातावरण बनता है. इस आयोजन से जुड़े लोग बधाई के पात्र हैं. पलामू में संसाधनों का अभाव है इसके बाद भी यहां के विद्यार्थियों ने बाहर जाकर अपने लक्ष्य को प्राप्त किया है.
समारोह की अध्यक्षता करते हुए नीलांबर पीतांबर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो एस एन सिंह ने कहा कि परिवेश बनाने के लिए प्रशासन, विद्यार्थी, शिक्षकों को मिलकर प्रगति में बाधक शक्तियों के खिलाफ खड़ा होना होगा. विश्वविद्यालय के अब तक के स्वरूप पर असंतोष जाहिर करते हुए कहा कि सबके सहयोग से विश्वविद्यालय का ऐसा स्वरूप खड़ा किया जायेगा, जिसमें दूर दराज से लोग पढ़ने आयें. कुलपति ने पुस्तकालय में नई पुस्तक उपलब्ध कराने के साथ-साथ इस तरह के आयोजन को बढ़ाने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता भी दुहरायी. व्याख्यानमाला का संचालन शोध समिति के समन्वयक डॉ कुमार वीरेंद्र ने किया. अतिथियों का स्वागत कालेज के प्रभारी प्राचार्य डॉ जयगोपालधर दुबे ने किया.
आइक्यूएसी के समन्वयक डॉ आर के झा ने आभार व्यक्त किया. कार्यक्रम के बाद उपायुक्त और कुलपति ने संयुक्त रूप से कालेज परिसर में पौधरोपण भी किया. मौके पर डॉ आर-आर किशोर, डॉ एसपी सिन्हा, डॉ विमल कुमार सिंह, डॉ एस के मिश्रा, डॉ राजेंद्र सिंह, डॉ रविशंकर, प्रो. भीमराम , प्रो राघवेंद्र कुमार सिंह,डॉ जसवीर बग्गा, डॉ सुनीता कुमारी, डॉ मंजू सिंह, प्रो. ऋचा सिंह, प्रो. अंजू कुमारी, डॉ अनिता सिन्हा, डॉ सुवर्ण महतो, डॉ प्रवीण प्रभाकर, डॉ एन के सिंह,डॉ गोविद तिवारी,डॉ महेंद्रराम,डॉ श्रवण कुमार,प्रो आर पी शर्मा,डॉ अखिलानंद पांडे ,डॉ शरफुद्दीन ,डॉ खुर्शीद आलम,प्रो कुरतुल्लाह सहित काफी संख्या में लोग मौजूद थे.
डीसी ने दिये सफलता के टिप्स
व्याख्यानमाला में जुटे विद्यार्थियों के सवालों का जवाब भी उपायुक्त अमीत कुमार ने दिया. प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी में जुटे विद्यार्थियों को सफलता के लिए प्रेरित करते हुए उपायुक्त श्री कुमार ने कहा कि रेस जीतने के लिए तेज गति से दौड़ना उतना जरूरी नहीं जितना अच्छी रणनीति के साथ दौड़ना. क्योंकि आप में क्षमता है तेज दौड़ने का और पास में रणनीति नहीं है तो संभव है कि सफलता नहीं भी मिले. साथ ही सफलता के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण जरूरी है.
कभी भी नकारात्मक सोच नहीं रखना चाहिए. हमेशा यह सोचना चाहिए कि जो लक्ष्य निर्धारित किया है उसमें सफलता मिलेगी. क्षमता है लक्ष्य को प्राप्त करेंगे. क्योंकि कई बार ऐसा होता है जब खुद पर भरोसा नहीं होने के कारण मेधा होने के बाद भी लोग सफल नहीं हो पाते. साथ ही निरंतर समाचार पत्रों पर नजर रखें, अध्ययन करें, देश दुनिया में क्या हो रहा है उसके बारे में भी खुद को अपडेट रखें.

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