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किसानों का हाल बेहाल
मेदिनीनगर : राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी द्वारा किसानों की समस्या को लेकर शुरू किये गये चंपारण सत्याग्रह आंदोलन के 100 साल पूरे होने पर पलामू प्रमंडलीय मुख्यालय मेदिनीनगर में रविवार को शताब्दी समारोह का आयोजन किया गया. समिति के लोगों ने मौके पर टाउन हॉल में चंपारण सत्याग्रह से जुड़ी प्रदर्शनी लगायी. महाराजा अग्रसेन भवन […]
मेदिनीनगर : राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी द्वारा किसानों की समस्या को लेकर शुरू किये गये चंपारण सत्याग्रह आंदोलन के 100 साल पूरे होने पर पलामू प्रमंडलीय मुख्यालय मेदिनीनगर में रविवार को शताब्दी समारोह का आयोजन किया गया. समिति के लोगों ने मौके पर टाउन हॉल में चंपारण सत्याग्रह से जुड़ी प्रदर्शनी लगायी. महाराजा अग्रसेन भवन में चंपारण सत्याग्रह को लेकर विचार गोष्ठी का आयोजन हुआ.
गोष्ठी में कांग्रेस के पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय, राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री झाविमो के केंद्रीय अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी, सीपीआइ के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य पूर्व सांसद भुवनेश्वर मेहता, राज्य के पूर्व मंत्री केएन त्रिपाठी ने झारखंड सहित देश के किसानों की दशा दिशा पर विस्तार से प्रकाश डाला. गोष्ठी की अध्यक्षता अध्यक्षीय मंडल के सदस्य जीपी अखिलेश्वर प्रसाद, राम कुमार राम व प्रमोद साहु ने संयुक्त रूप से किया. कार्यक्रम का संचालन शिवशंकर प्रसाद व धन्यवाद ज्ञापन सुरेश सिंह ने किया. शताब्दी समारोह के अवसर पर आयोजित गोष्ठी में देश के विभिन्न राज्यों में आत्महत्या करने वाले किसानों के प्रति शोक व्यक्त किया गया. आयोजन समिति के संयोजक सीपीआइ के राज्य सचिव केडी सिंह ने विषय प्रवेश कराया. श्री सिंह ने कहा कि 1917 में अंग्रेजी हुकूमत के काल में चंपारण के किसानों की जो स्थिति थी, उससे किसान ऊब चुके थे. अंग्रेजों द्वारा किसानों से शोषण किया जा रहा था. किसानों की इस समस्या को लेकर गांधी जी चंपारण पहुंंचे और आंदोलन िकया, जो पूरे देश में फैल गया.
आयोजन समिति के अध्यक्ष पंकज श्रीवास्तव ने कहा कि देश के किसान की स्थिति अजीबों गरीब है. अरब कंट्री के किसान के खेत में तेल का भंडार निकलता है, तो वह खुश होता है. लेकिन भारत के किसान के खेत में यदि खनिज पदार्थ निकले, तो उसी दिन से उसकी दुर्दशा शुरू हो जाती है. ऐसी स्थिति में किसान कैसे बचेंगे इस पर सोचने की जरूरत है. मौके पर कांग्रेस के प्रदेश सचिव श्यामनारायण सिंह, मजदूर नेता गणेश सिंह, पत्रकार गोकुल वसंत, शीला श्रीवास्तव, अजय पांडेय आदि ने विचार रखे. वहीं कवि हरिवंश प्रभात व शायर मिर्जा खलील बेग ने अपनी रचना प्रस्तुत की.
बाबूलाल बोले
झारखंड की धरती रत्नगर्भा, लोग फटेहाल
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री सह झाविमो के केंद्रीय अध्यक्ष बाबूलाल ने कहा कि झारखंड की धरती रत्नगर्भा है. लेकिन यहां के लोग फटेहाल हैं. इसका मूल कारण यह है कि सरकार जो नीति बना रही है, वह उद्योगपतियों व पूंजीपतियों के हितों को ध्यान में रख रही है. जब तक सरकार किसानों व गरीबों के हितों को ध्यान में रखकर नीति नहीं बनायेगी, तब तक किसानों की दशा में सुधार नहीं होगा. उद्योगपतियों के कर्ज माफ कर दिये जा रहे हैं, लेकिन किसानों की दिशा में कोई काम नहीं हो रहा है.
सुबोधकांत ने कहा
सरकारी नीतियों से तंग किसान कर रहे आत्महत्या
कांग्रेस के पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय ने कहा कि गांधी जी ने किसानों के शोषण व अत्याचार के खिलाफ 1917 में चंपारण में जो सत्याग्रह शुरू किया था, वह आज भी प्रासंगिक है.
100 साल पहले अंग्रेजी शासनकाल में किसानों की जो दशा थी, आज उसमें सुधार होने की बजाय बदतर हो गयी है. सरकार की नीतियों से तंग आकर झारखंड सहित अन्य राज्यों के किसान आत्महत्या कर रहे हैं. किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए राज्य व केंद्र सरकार की नीतियों व कार्यों के खिलाफ एकजुट होकर लंबी लड़ाई लड़ने की जरूरत है.
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