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गंगा की धारा में बहा दिये जाते हैं मवेशी मछलियों की तरह छान लेते हैं तस्कर !

पाकुड़ : भारत-बांग्लादेश के बीच विगत कुछ माह से पाकुड़ के रास्ते मवेशियों की तस्करी हो रही है. सूत्रों की मानें तो मवेशियों को महेशपुर व पाकुड़िया के रास्ते पश्चिम बंगाल ले जाया जाता है. जहां से मालदा जिला के जंगीपुर व उमरपुर स्थित मंडी में मवेशियों को रखा जाता है. बाद में मौका पाकर […]

पाकुड़ : भारत-बांग्लादेश के बीच विगत कुछ माह से पाकुड़ के रास्ते मवेशियों की तस्करी हो रही है. सूत्रों की मानें तो मवेशियों को महेशपुर व पाकुड़िया के रास्ते पश्चिम बंगाल ले जाया जाता है. जहां से मालदा जिला के जंगीपुर व उमरपुर स्थित मंडी में मवेशियों को रखा जाता है. बाद में मौका पाकर मवेशी तस्करों द्वारा मवेशियों की झुंड को भारत व बांग्लादेश के सीमा क्षेत्र पर पश्चिम बंगाल के धुलियान के समीप गंगानदी के बहते जल प्रवाह में धकेल दिया जाता है.

मवेशियों स्वत: तैर कर बांग्लादेश की सीमा में प्रवेश कर जाते हैं. जहां पूर्व से तैनात मवेशी तस्करों द्वारा उन्हें उठा कर ले जाया जाता है. सूत्रों का मानना है कि तस्करों द्वारा मवेशियों को गंगा के जल प्रवाह में धकेलने के पूर्व पहचान के लिए टैग लगाया जाता है.

गंगा की धारा में…
उसी चिह्न के आधार पर बाद में मवेशी तस्करों को प्रत्येक मवेशी के एवज में निर्धारित राशि दी जाती है.
रात में देते हैं घटना काे अंजाम : तस्कर मवेशियों की झुंड को रात के अंधेरे में पहले गंगा के किनारे लाते हैं. उसके बाद बीएसएफ के गश्ती दल को ध्यान में रखते हुए गंगा में मवेशियों को धकेल दिया जाता है. ज्ञात हो कि मवेशियों को तैरना स्वभावत: आता है और वह प्रवाह के साथ बहते हुए बांग्लादेश पहुंच जाता है.
करोड़ों रुपये का चल रहा कारोबार : सूत्रों की माने तो बिहार और झारखंड के कई इलाकों से मवेशियों को रुपये देकर खरीद की जाती है. जिसकी कीमत 15 से लेकर 50 हजार तक की होती है और जो बांग्लादेश पहुंचने के बाद दोगुनी हो जाती है. मतलब तस्कर थोड़ी मेहनत में लागत से दोगुनी की कमाई कर लेते हैं. सूत्र बताते हैं
कि एक-एक झुंड में सैकड़ों की संख्या में मवेशियों को गंगा नदी में उतारा जाता है. जिसे नाव या एलसीटी के माध्यम से मवेशियों को पानी से बाहर निकाला जाता है और इस तरह से महीने में सैकड़ों बार झुंड के झुंड मवेशियों को गंगा में उतार कर बांग्लादेश खपाया जा रहा है. वहीं कई बार तेज बहाव होने के कारण तस्करों को कई मवेशी हाथ नहीं आते और दूर बह कर उसकी मौत भी हो जाती है.
हिरणपुर का पशु हाट भी है कारक : पुलिस द्वारा समय-समय पर अभियान चला कर मवेशियों को पकड़ा जाता रहा है. जिले के हिरणपुर, महेशपुर, पाकुड़िया, मुफस्सिल थाना, नगर थाना आदि क्षेत्रों में भी पुलिस द्वारा कई बार अभियान चला कर मवेशियों को पकड़ा गया है. जानकारी के मुताबिक वर्ष 2011 में मुफस्सिल थाना पुलिस द्वारा थाना क्षेत्र के पृथवीनगर गांव में छापेमारी कर सिंटू शेख के घर से एक बांग्लादेशी पशु तस्कर मोतिबुर रहमान को एक लाख रुपये नकद के साथ गिरफ्तार किया गया था.
सूत्रों के मुताबिक, शुरू से ही मवेशी तस्करों की नजर पाकुड़ जिला के रास्ते पर रही है. इसका मूल कारण पाकुड़ जिले के हिरणपुर में लगने वाले सबसे बड़े पशु हाट भी है. हिरणपुर में प्रत्येक सप्ताह मवेशियों का बड़ा हाट लगता है. जिसमें पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार से भी व्यापारी बड़े पैमाने पर पहुंचते हैं.
15 दिन पूर्व भी हुई थी छापेमारी
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक मवेशी तस्करी पर रोक लगाये जाने को लेकर एसपी अजय लिंडा के नेतृत्व में लगभग 15 दिन पूर्व भी महेशपुर के विभिन्न मार्गों पर अहले सुबह छापेमारी की गयी थी. पुलिस को यह सूचना थी कि उपरोक्त मार्ग से बड़े पैमाने पर बिहार से इकट्ठा कर मवेशियों को ट्रकों के माध्यम से बंगाल की ओर ले जाया जाता है. इसी सूचना पर एसपी श्री लिंडा ने टीम के साथ छापेमारी की थी. हालांकि उपरोक्त छापेमारी की पूर्व सूचना मवेशी तस्करों को मिल जाने के कारण तस्कर सावधान हो गये थे और रास्ता बदल कर भाग गये थे.
प बंगाल के धुलियान के रास्ते धड़ल्ले से हो रही मवेशी की तस्करी
मालदा के जंगीपुर व उमरपुर मंडी में मवेशियों को किया जाता है इकट्ठा
टैग लगाकर धुलियान में गंगा नदी में मवेशियों को धकेल दिया जाता है
जल प्रवाह के साथ स्वत: बांग्लादेश पहुंच जाते हैं मवेशी
जहां पहले से तैयार तस्कर उसे छान लेते हैं
प्रतिदिन 400-500 मवेशियों का होता है कारोबार
टैग से तस्कर करते हैं मवेशियों की शिनाख्त
जिले में किसी तरह के अवैध कारोबार को पनपने नहीं दिया जायेगा. पशु तस्करी मामले में पुलिस काफी सख्त है. सभी थाना प्रभारियों को इस मामले में कड़ा निर्देश दिया गया है. सूचना मिलने पर निश्चित तौर पर कार्रवाई की जायेगी.
अजय लिंडा, एसपी, पाकुड़

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