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कुपोषण से बचाव जरूरी : मृदुला

आयोजन. सभागार में कुपोषण मुक्त बचपन अभियान पर कार्यशाला लोहरदगा : लोहरदगा जिला शीघ्र कुपोषण मुक्त होने वाला है. यह काफी खुशी की बात है. जिस घर में, जिस समाज में, जिस जिले में और जिस राष्ट्र में स्वस्थ लोग रहते हैं, वहां के लोगों की सोच भी सकारात्मक होती है. ये बातें महानिदेशक राज्य […]

आयोजन. सभागार में कुपोषण मुक्त बचपन अभियान पर कार्यशाला
लोहरदगा : लोहरदगा जिला शीघ्र कुपोषण मुक्त होने वाला है. यह काफी खुशी की बात है. जिस घर में, जिस समाज में, जिस जिले में और जिस राष्ट्र में स्वस्थ लोग रहते हैं, वहां के लोगों की सोच भी सकारात्मक होती है.
ये बातें महानिदेशक राज्य पोषण मिशन मृदुला सिन्हा ने कही. वे लोहरदगा में समेकित जनजातीय विकास अभिकरण के सभागार में कुपोषण मुक्त बचपन अभियान के तहत आयोजित कार्यशाला को संबोधित कर रही थीं. उन्होंने कहा कि लोहरगा में अप्रैल माह से कुपोषण को लेकर अभियान चलाया जा रहा है. यहां यह कार्य बेहतर तरीके से हाे रहा है. उन्होंने कहा कि जीवन चक्र के दौरान कुपोषण से जल्द से जल्द बचाव काफी जरूरी है.
उन्होंने इस दिशा में उपायुक्त डॉ भुवनेश प्रताप सिंह के प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि बगैर किसी सरकारी फंड के एवं किसी आवंटन के उन्होंने 99 प्रतिशत सफलता प्राप्त की है. 31 मार्च 2017 तक लोहरदगा जिला को कुपोषण मुक्त जिला बनाने का जो लक्ष्य डीसी ने निर्धारित किया है, यह तारीफ के काबिल है. मृदुला सिन्हा ने कहा कि डीसी के प्रयास से यहां के अधिकारियों ने कुपोषित बच्चों को गोद लिया और आज वे बच्चे सामान्य जिंदगी जी रहे हैं.
डीसी डॉ भुवनेश प्रताप सिंह ने कहा कि लोहरदगा जिला में अप्रैल माह में मेरे योगदान के बाद प्रभात खबर में कुपोषण से संबंधित समाचार प्रकाशित की गयी थी. इस समाचार ने मुझे कुपोषण को दूर करने के लिए प्रेरित किया. शुरू में दो-दो कुपोषित बच्चों को गोद लेकर कुपोषण मुक्त किया गया.
जिले में 99 प्रतिशत बच्चे कुपोषण मुक्त हो गये हैं. आंगनबाड़ी केंद्रों के प्रयास से 2200 बच्चों को कुपोषण मुक्त किया गया. छह महीने में जिले के कुपोषित बच्चों को कुपोषण से मुक्त करा लिया जायेगा. कुपोषण मुक्त बचपन अभियान को सफल बनाने में आंगनबाड़ी सेविकाओं का मुख्य योगदान रहा. उन्होंने कहा कि हर गांव में गुलाबी गैंग का गठन किया गया है.
उन्होंने कहा कि 30 महिलाओं का समूह कुपोषण मुक्त बचपन बनाने के लिए गांव में बैठ कर चर्चा करें. परिचर्चा के बाद इस कार्य में एक्टिव 10 महिलाओं का समूह कुपोषण दूर करने की जिम्मेवारी लें, तो जिला कुपोषण मुक्त हो जायेगा. उन्होंने कहा कि इसके लिए जिला स्तर पर महिलाओं को ट्रेनिंग दी जायेगी. डीसी डॉ सिंह ने पंचायत स्तरीय जनप्रतिनिधियों का भी सहयोग लेने की बात कही. उन्होंने कहा कि एनएनएफ गांव को ग्रेडिंग कर पुरस्कृत किया जायेगा. पहले गांव, पंचायत तथा प्रखंड को कुपोषण मुक्त करते हुए 31 मार्च तक जिला को कुपोषण मुक्त बनाना है.
डीसी डॉ सिंह ने कहा कि कुपोषण के लिए सतत अभियान की जरूरत है. मौके पर जिला परिषद उपाध्यक्ष जफर खान, डीडीसी दानियल कंडुलना, अपर समाहर्ता रंजीत कुमार सिन्हा, समाज कल्याण पदाधिकारी संजय कुमार ठाकुर, डीपीओ महेश भगत सहित सभी प्रखंडों के बाल विकास परियोजना पदाधिकारी व आंगनबाड़ी सेविकाएं मौजूद थे.

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