कुड़ू : प्रखंड में बदहाली की दौर से गुजर रही शिक्षा व्यवस्था नये साल में पटरी पर लौटेगी. प्रखंड के दो टेन प्लस टू इंटर काॅलेज व दो उत्क्रमित उच्च विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति होगी.
कुड़ूवासियों का सपना कही पहले की तरह साल 2018 में सपना बनकर रह न जाये. बताया जाता है कि प्रखंड में चार उच्च विद्यालय हैं. इनमें गांधी मेमोरियल उवि मारडीह, प्रोजेक्ट बालिका उवि कुड़ू, उत्क्रमित उवि जिंगी, उत्क्रमित उवि सलगी है. दो टेन प्लस टू इंटर काॅलेज गांधी मेमोरियल माराडीह व बालिका स्कूल कुड़ू है. प्रोजेक्ट बालिका उवि कुड़ू में प्लस टू पढ़ाई का शुभारंभ चार साल पूर्व शुरू किया गया है. यहां कला व वाणिज्य संकाय में छात्राओं का नामांकन लिया गया है. विज्ञान संकाय में नामांकन नहीं हो पाया है.
चार साल में टेन प्लस टू में एक भी शिक्षिका की बहाली नहीं हो पायी है. दोनों संकाय में कुल नामांकित छात्राओं की संख्या लगभग 100 है. प्रोजेक्ट बालिका उवि में नौ व 10 दशम में कुल नामांकित छात्राओं की संख्या लगभग 300 है. एक शिक्षिका कल्पना व एक शिक्षिका कंप्यूटर की है. आलम यह है कि एक शिक्षिका उच्च विद्यालयों की छात्राओं को पढ़ाये या फिर टेन प्लस टू की छात्राओं को. गांधी मेमोरियल उवि का हाल बेहाल है.
नामांकित छात्र-छात्राओं की संख्या लगभग 700 है. शिक्षकों के स्वीकृत पद में आधे कार्यरत नहीं हैं. यहीं हाल टेन प्लस टू का है. दो उत्क्रमित उच्च विद्यालयों में जिंगी व सलगी है. जिंगी में मवि व पारा शिक्षक हाई स्कूल के बच्चों को पढ़ा रहे है, तो सलगी में किराये के शिक्षकों, पारा शिक्षकों के भरोसे हाई स्कूल के बच्चो का भविष्य टिका है. कुल मिला कर प्रखंड में उच्च शिक्षा का बेहाल हो. बच्चे पारा शिक्षकों के भरोसे अपना भविष्य बनाने में लगे है. उच्च शिक्षा का बेहाल रहने से ग्रामीण परेशान है.
नये साल में ग्रामीणों की अपेक्षा बढ़ गयी, साथ ही चिंता भी सता रही है पहले की तरह जनप्रतिनिधियों के कोरे आश्वासनों के सहारे कही साल 2018 भी न निकल जाये. ऐसा नहीं है कि शिक्षा विभाग, जिला प्रशासन से लेकर राज्य सरकार को जानकारी नहीं है. सबको पता है पिछले साल मुख्यमंत्री रघुवर दास सलगी में आयोजित कार्यक्रम में पहुंचे थे.
ग्रामीणों ने सीएम को लिखित आवेदन देकर उत्क्रमित उवि सलगी समेत अन्य उच्च विद्यालयों, टेन प्लस टू विद्यालयों में शिक्षकों की कमी से अवगत कराये थे. सीएम ने जल्द शिक्षकों की बहाली का आश्वासन दिया था. आठ माह गुजर गये, शिक्षक बहाल होना तो दूर पहल तक नहीं हो पायी है. इससे ग्रामीण निराश है.