रविवार को कमले गांव के सैकड़ों महिला व पुरुष स्टेशन परिसर पर पहुंच काम को यह कहते हुए रोक दिया कि जहां काम हो यहा है, वह कमले गांव की जमीन है. कमले गांव में पहान-पुजार है, लेकिन भूमि पूजन नहीं कराया गया. साथ ही कमले गांव की जमीन होने के बावजूद कमले के ग्रामीणों को काम नहीं मिल रहा है. कमले के लोग धूल फांकेंगे व मलाई दूसरे गांव के लोग खायेंगे. कहा कि काम नहीं होगा, जब तक कमले के ग्रामीणों को रोजगार नहीं दिया जायेगा.
इसकी सूचना मिलते बड़की चांपी व जरियो के ग्रामीण भी स्टेशन के समीप पहुंच गये. दोनों गांवों के ग्रामीणों के बीच बातचीत शुरू हुई. तय किया गया कि कमले के ग्रामीणों को कोयला डंपिंग यार्ड में काम दिया जायेगा. इसके बाद मामला शांत हो गया. कमले के ग्रामीणों का आरोप है कि जहां पर रेलवे स्टेशन का निर्माण कराया गया है, वह जमीन कमले गांव का राजस्व गांव है, इसके बावजूद रेलवे स्टेशन का नाम बड़की चांपी रखते हुए कमले के ग्रामीणो से नाइंसाफी की गयी है. जबकि कोयला डंपिंग यार्ड का निर्माण हो रहा है, तब भी कमले के ग्रामीणों को दरकिनार किया जा रहा है. इससे ग्रामीणों में आक्रोश है. रविवार को घटना के बाद पुलिस पूरे मामले की निगरानी कर रही है. इस संबंध में कोई मुंह खोलने को तैयार नहीं है. कुड़ू थाना प्रभारी सुधीर प्रसाद साहू ने बताया कि बड़की चांपी रेलवे स्टेशन के मामले की कोई जानकारी नहीं है.