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अस्तित्व के संकट से जूझता प्राचीन विक्टोरिया तालाब

लोहरदगा: लोहरदगा जिले का गौरव कहा जाने वाला बड़ा तालाब जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा से अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए संघर्ष कर रहा है. अंग्रेजों के जमाने में महारानी विक्टोरिया ने बंदियों से इस तालाब की खुदाई करायी थी. 25 एकड़ से अधिक भू भाग में फैले इस तालाब की स्थिति आज बिल्कुल दयनीय हो […]

लोहरदगा: लोहरदगा जिले का गौरव कहा जाने वाला बड़ा तालाब जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा से अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए संघर्ष कर रहा है. अंग्रेजों के जमाने में महारानी विक्टोरिया ने बंदियों से इस तालाब की खुदाई करायी थी. 25 एकड़ से अधिक भू भाग में फैले इस तालाब की स्थिति आज बिल्कुल दयनीय हो चुकी है. जलकुंभियों ने इसे पूरी तरह अपने आगोश में ले लिया है. तालाब के किनारे अतिक्रमण कर बिल्डिंग बनाये जा रहे है.
तालाब को हर तरफ से भरा जा रहा है. लोगों ने तालाब में मिट्टी डाल कर घर बना लिया है. अतिक्रमण का दौर लगातार जारी है. इस तालाबकी सफाई की बातें लगातार की जाती है, लेकिन अब तक इसकी सफाई नहीं हुई है. यह तालाब नगर परिषद के अधीन है, लेकिन नगर परिषद इसको कभी ध्यान नहीं देता है. विभिन्न पर्वों में तालाब की साफ-सफाई के नाम पर लाखों रुपये का वारा न्यारा जरूर कर लिया जाता है.

शहर के प्रबुद्ध लोग बड़ा तालाब की इस दुर्दशा को देख कर आहत है. उनका कहना है कि कहने को तो यहां केंद्रीय मंत्री सुदर्शन भगत, झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सह विधायक सुखदेव भगत जैसे बड़े नेता हैं, लेकिन इन लोगों ने भी कभी बड़ा तालाब की सफाई पर ध्यान नहीं दिया. कागजी बयानबाजी कर जनता को बेवकूफ बनाते रहे है. जबकि यह तालाब इस जिले के लोगों के लिए एक अमूल्य धरोहर है. सरकारी अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा के कारण यह तालाब आज अपने अस्तित्व के संकट से जूझ रहा है.
सीएम की जीर्णोद्धार की घोषणा महज छलावा
लगभग डेढ़ वर्ष में पूर्व राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने लोहरदगा में घोषणा की थी कि पांच करोड़ रुपये की लागत से बड़ा तालाब का जीर्णोद्धार कराया जायेगा, लेकिन मुख्यमंत्री की घोषणा सिर्फ छलावा साबित हुई. तालाब के जीर्णोद्धार की बात तो, दूर तालाब में मिट्टी भर कर इसके अतिक्रमण करने के काम में और तेजी आ गयी. यह तालाब तेजी से सिकुड़ता जा रहा है.
उपायुक्त का आदेश भी ठंडे बस्ते में पड़ा
पिछले दिनों उपायुक्त विनोद कुमार ने इस तालाब को देखा था. उन्होंने जब वहां किये जा रहे अतिक्रमण को देखा, तो दंग रह गये. उन्होने तत्काल इसकी नापी करा कर तालाब को अतिक्रमण मुक्त कराने का निर्देश नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी को दिया था. लेकिन हमेशा की तरह नगर परिषद द्वारा एक बार फिर उपायुक्त के आदेश को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया.

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