लोहरदगा : झारखंड की राजधानी रांची से सटे लोहरदगा जिले को शुक्रवार को खुले में शौच से मुक्त जिला घोषित कर दिया गया. इसके साथ ही लोहरदगा पूर्वी भारत के तीन राज्यों बिहार, झारखंड और ओड़िशा का पहला जिला बन गया, जो खुले में शौच से मुक्त घोषित हुआ है. लोहरदगा जिला में 353 गांवों में 59,573 शौचालय बनाने का लक्ष्य रखा गया था, जिसे हासिल कर लिया गया.
स्वच्छ भारत अभियान के तहत लोहरदगा को मिली उपलब्धि से यूनिसेफ जैसी अंतर्राष्ट्रीय संस्था भी चकित है. अन्य जिलों के अधिकारी और लोग आकर देख रहे हैं कि जिले ने इतने कम समय में इतनी बड़ी सफलता कैसे हासिल कर ली.
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पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के आंकड़े बताते हैं कि बेसलाइन सर्वे में जितने घरों में शौचालय का निर्माण करना था, सभी घरों में शौचालय बन गये. इसकी एमआइएस इंट्री भी हो गयी. यानी लोहरदगा जिले के शहरी या ग्रामीण क्षेत्र में कोई ऐसा घर नहीं बचा, जहां शौचालय न हो. इसके पहले रामगढ़ जिला को खुले में शौच से मुक्त जिला घोषित किया गया था, लेकिन वहां सिर्फ ग्रामीण इलाकों को ओडीएफ घोषित किया गया था.
लोहरदगा जिला को खुले में शौच से मुक्त बनाने में काफी परेशानियों का भी सामना करना पड़ा. जिले के उपायुक्त विनोद कुमार ने माॅर्निंग फॉलो-अप के माध्यम से कड़ाके की सर्दी में ग्रामीण इलाकों में जाकर लोटा लेकर खुले में शौच करने जा रहे लोगों को स्वच्छता की अहमियत समझाते थे. बताते थे कि तमाम बीमारियों की जड़ गंदगी है और यह तभी फैलती है, जब लोग खुले में शौच करते हैं.
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ग्रामीणों को अलग-अलग तरीकों से समझाया गया. रात्रि चौपाल लगाकर गांव में लोगों को शौचालय बनवाने और उसके उपयोग के लिए प्रेरित किया गया. उपायुक्त ने जिले के तमाम सरकारी कर्मियों, अनुबंध में कार्यरत कर्मियों, पंचायती राज के प्रतिनिधियों से शपथ पत्र लिया कि उनके घरों में शौचालय बन गया है और वे लोग उसका उपयोग करते हैं.
जिले के अधिकारियों को पंचायतों की जिम्मेवारी दी गयी. वे लोग पंचायतों में जाकर शौचालय निर्माण का कार्य देखते थे. जिनके घरों में शौचालय नहीं था, उन्हें बनवाने के लिए प्रेरित करते थे.
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छोटा सिपाही, गुलाबी गैंग बना कर लोगों को किया जागरूक : छोटा सिपाही, गुलाबी गैंग बनाकर लोगों को मोटिवेट किया गया. सबका प्रयास रंग लाया. पेयजल स्वच्छता विभाग के कार्यपालक अभियंता रेयाज आलम लगातार इसे एक अभियान का रूप देकर लगे रहे. शौचालय निर्माण के कार्य में तमाम बीडीओ, सीओ, साक्षरता कर्मियों, अधिकारियों को जिम्मेवारी देकर इसे धरातल पर उतारा गया.
चट्टानों के बीच में बनवा दिये शौचालय : भंडरा प्रखंड के कुम्हरिया में जहां हर ओर सिर्फ चट्टान ही चट्टान है, उस गांव के पांच घर के लोगों के समक्ष शौचालय बनवाने की समस्या थी, लेकिन डीसी ने इसका भी निदान निकाला. उन्होंने चट्टानों के बीच कम्युनिटी शौचालय बनवा दिया, जिसमें सभी पांच परिवार के लोग शौच करने जाते हैं.
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प्रशिक्षण देकर तैयार किये गये राजमिस्त्री : इतना ही नहीं, जिले में शौचालय के निर्माण को गति देने के उद्देश्य से प्रशिक्षण देकर राजमिस्त्रीतैयार किये गये. महिलाओं को भी प्रशिक्षण देकर राजमिस्त्री का काम सिखाया गया. पेयजल स्वच्छता विभाग के कार्यपालक अभियंता रेयाज आलम ने बताया कि मुर्शिदाबाद से मिस्त्रियों की टीम बुलायी गयी. उन्होंने पेशरार इलाके में कैंप कर शौचालय का निर्माण किया. पेशरार जैसे दुरूह इलाके में शौचालय का निर्माण बहुत बड़ी उपलब्धि है. गांव-गांव में फुटबॉल टीम, कबड्डी टीम का गठन कर लोगों को स्वच्छता से जोड़ा गया.तब जाकर जिले ने यह उपलब्धि हासिल की.