नगरऊंटारी (गढ़वा) : किसानों के लिए वर्ष 2013 अच्छा नहीं रहा. समय से अच्छी वर्षा नहीं होने से किसानों की परेशानी बढ़ गयी. सरकार द्वारा समय पर किसानों को उचित मूल्य पर खाद व बीज उपलब्ध नहीं कराया गया.
जिसके कारण किसानों ने महंगे दाम पर मक्का, अरहर, तील, उरद, बराइ, बोदी के बीज खरीद कर बोआई की. धान के हाई ब्रिड बीज किसानों को महंगे दाम पर खरीदना पड़ा. किसान विगत वर्ष धान की अच्छी उपज से उत्साहित थे.
उनके द्वारा धान का बिचड़ा किया गया. लेकिन पर्याप्त वर्षा नहीं होने के कारण लगभग 70 प्रतिशत धान के बिचड़ों की रोपाई नहीं हो सकी. किसानों ने अपने दम पर धान की रोपाई की. बाद में वर्षा होने से धान की फसल तैयार हुई.
मकई की फसल प्रारंभ में बहुत अच्छी थी. उसमें दाने भी पड़ चुके थे, लेकिन जब दाना पुष्ट होने की समय आया तो कड़ाके की धूप के कारण दाना सूख गया. जिससे मकई की फसल भी अच्छी नहीं हो सकी. तील की फसल अच्छी थी, लेकिन फसल कटने के समय हुई भारी वर्षा के कारण तील के दाने काले पड़ गये. कुछ सड़ गये.
जिसके कारण किसानों को काफी नुकसान हुआ. उरद व बरायी की स्थिति भी कुछ ऐसी ही रही. डीजल की बढ़ी कीमतों के कारण भी किसानों को सिंचाई करने में काफी परेशानी हुई. अक्तूबर माह में हुई वर्षा के बाद किसानों ने परती पड़े खेतों में बड़े पैमाने पर चना, सरसो, तीसी, जाै व गेहूं की बुआई किया है.
अधिकांश असिंचित खेतों में किसानों ने बीज बोया ह. यदि 15 जनवरी तक हल्की वर्षा भी हो गयी, तो किसानों को कुछ राहत मिल सकती है. यदि सरकार द्वारा वैकल्पिक खेती के लिए समय पर खाद, बीज व ऋण किसानों को उपलब्ध कराया जाता, तो शायद वे खरीफ फसल में हुए नुकसान की भरपाई रबी फसल में करने का प्रयास करते. किसानों को हुए नुकसान के लिए सरकार द्वारा किसी प्रकार की सहायता नहीं दी गयी. अधिकांश गरीब किसान वह खेतिहर मजदूरों की स्थिति धान की फसल नहीं होंने से विगड़ गयी है.
उनकी आर्थिक स्थिति पूरी तरह चरमरा गयी है. वर्तमान में गेहूं की फसल की सिंचाई किसान डीजल पंप के सहारे कर रहे हैं. खेतिहर मजदूर दूसरे राज्यों में धान की कटाई के लिए पलायन कर चुके हैं.