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स्टोन क्रशर बंद हैं, फिर भी प्रोजेक्ट पर काम

लातेहार : लातेहार जिला में पर्यावरण अनापत्ति व कांन्सेंट टू अॉपरेट नहीं मिलने के कारण करीब-करीब सभी स्टोन क्रशर बंद हैं. इसके बावजूद जिला मुख्यालय में दर्जन भर बड़े प्रोजेक्ट का निर्माण कार्य चल रहा है. करीब 50 करोड़ रुपये का काम सिर्फ मुख्यालय में चल रहा है. जिसमें करीब पांच करोड़ रुपये मूल्य के […]

लातेहार : लातेहार जिला में पर्यावरण अनापत्ति व कांन्सेंट टू अॉपरेट नहीं मिलने के कारण करीब-करीब सभी स्टोन क्रशर बंद हैं. इसके बावजूद जिला मुख्यालय में दर्जन भर बड़े प्रोजेक्ट का निर्माण कार्य चल रहा है. करीब 50 करोड़ रुपये का काम सिर्फ मुख्यालय में चल रहा है. जिसमें करीब पांच करोड़ रुपये मूल्य के चिप्स का उपयोग किया जा चुका है.
जबकि यहां सिर्फ हैंड ब्रोकेन चिप्स अवैधानिक रूप से ही उपलब्ध है. बताया जाता है कि खनन पट्टा की संख्या काफी कम है और पर्यावरण स्वीकृति नहीं मिलने के कारण उन पर भी संकट व्याप्त है.
क्या है खनन पट्टा देने का प्रावधान : खनन पट्टा वन सीमा से 250 मीटर दूर, नेशनल पार्क, वन्य जीव, अभ्यारण्य घोषित जैव विविधता से 10 किलोमीटर से अधिक दूर, रिहायशी क्षेत्र से 500 मीटर दूर, शैक्षणिक संस्थान, जलीय निकाय व नदी से 500 मीटर दूर, राष्ट्रीय उच्च पथ से 200 मीटर की दूरी होने पर ही पर्यावरणीय स्वीकृति दिये जाने का प्रावधान है. झारखंड माइंस एंड मिनरल्स रुल्स 2004 के अनुसार खनन पट्टा के आवेदक को सरफेस होना जरूरी है. इसके कारण भी आवेदकों को पर्यावरणीय स्वीकृति नहीं मिल पा रही है.
क्या कहते हैं अधिकारी : जिला खनन पदाधिकारी के ज्ञापांक 519 दिनांक 31.07.15 का हवाला देते हुए खनन पदाधिकारी का कहना है कि जिले में स्टोन क्रशर के चालू नहीं रहने से विकास कार्य पर प्रतिकूल असर पड़ने की जानकारी सरकार को दी जा चुकी है, लेकिन गाइड लाइन के अभाव में अग्रेत्तर कार्रवाई नहीं हो पा रही है.

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