लातेहार : भाकपा माओवादी के सैक सदस्य और 25 लाख के इनामी बिरसाय को माओवादी संगठन ने सजा दी है. उसे संगठन में दस्ता सदस्य बना दिया गया है. पीपुल्स लिब्रेशन गुरिल्ला आर्मी के समय से ही बिरसाय का संगठन में दबदबा था. लेकिन 48 वर्षीय इस शख्स ने छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले के साबाग थाना क्षेत्र के बूढ़ा पहाड़ पर स्थित एक गांव के एक आदिम जनजाति नाबालिग को दो वर्ष पूर्व प्रेम-प्रसंग में फंसाया. पिछले वर्ष फरवरी में नाबालिग ने एक नवजात को जन्म दिया था.
इस घटना से नक्सलियों का गढ़ माने जाने वाले बूढ़ा पहाड़ व आसपास के क्षेत्रों में माओवादियों की किरकिरी होने लगी. इसकी सूचना मिलते ही माओवादी के शीर्ष नेताओं ने होली के दौरान बूढ़ा पहाड़ क्षेत्र के चुनचुना में ग्रामीणों के साथ बैठक की थी. इसके बाद शीर्ष माओवादी नेताओं ने बिरसाय को दंडित करते हुए पार्टी के पद से हटा कर मामूली दस्ता सदस्य बना दिया.
बिरसाय का सफरनामा : बिरसाय मूल रूप से लातेहार जिला के चंदवा प्रखंड का निवासी है. बीस वर्ष पूर्व माओवादी के कला जत्था सदस्य के तौर पर इसने गढ़वा और लातेहार जिला के सीमावर्ती क्षेत्रों सहित छत्तीसगढ़ के सरगुजा व बलरामपुर के इलाके में कई नक्सली घटनाओं को दिलेरी से अंजाम दिया. पिछले वर्ष भी छत्तीसगढ़ की सीमा पर जिले के महुआडांड़ थाना अंतर्गत कुकुटपाठ में आगजनी की वारदात में भी शामिल होना बताया जाता है. छत्तीसगढ़ पुलिस को भी बिरसाय की तलाश है. वहां पर भी इसके खिलाफ इनाम घोषित है. सूत्रों के मुताबिक बिरसाय को फिलवक्त बूढ़ा पहाड़ में माओवादी संगठन का पोलित ब्यूरो सदस्य के पास ले जाया गया है.
अरुण नाग हत्याकांड में अरुण साहू और संजू साहू की तलाश में छापेमारी
रांची़ रांची विश्वविद्यालय के पूर्व कर्मी अरुण नाग हत्याकांड मामले में पुलिस ने बुधवार को अरुण साहू और संजू साहू की तलाश में विभिन्न स्थानों पर छापेमारी की, लेकिन सफलता नहीं मिली़ फिलहाल, पुलिस के अनुसार जांच में जो बात सामने आयी है, उसके अनुसार जमीन विवाद में ही अरुण की हत्या हुई है. उल्लेखनीय है कि घटना के बाद अरुण के पुत्र रौनक कुमार ने आरोप लगाया था कि उसके परिवार की खतियानी जमीन हड़पने के लिए केशरी देवी, अरुण साहू, संजू साहू, अजय मेहता और रूबी मेहता ने फर्जी तरीके से रजिस्ट्री कर दी थी.
जिनके खिलाफ पूर्व में अरुण नाग धोखाधड़ी के आरोप में प्राथमिकी दर्ज करवा चुके थे. उल्लेखनीय है कि इस घटना का चश्मदीद गवाह अरुण नाग का भाई तारा नाग है. पुलिस ने उससे भी शूटरों के बारे में जानकारी एकत्र करने का प्रयास किया, लेकिन सफलता नहीं मिली.