जयनगर.
सीआइएसएफ की अपनी सुरक्षित तट समृद्ध भारत थीम पर आधारित ऐतिहासिक पहल ग्रेट इंडियन कोस्टल साइक्लोथॉन का समापन विवेकानंद रॉक मेमोरियल और तमिल संत एवं दार्शनिक थिरुवल्लुवर की मूर्ति के निकट हुआ. कार्यक्रम में कोडरमा थर्मल पावर प्लांट के सीआइएसएफ के जवानों ने भी भाग लिया. इस अवसर पर प्रतिभागियों ने तटीय क्षेत्रों की सुंदरता और महत्व को उजागर किया. साथ ही पर्यावरण संरक्षण और स्वस्थ जीवन शैली के प्रति जागरूकता फैलाने पर भी जोर दिया. यह साइक्लोत्थान भारत के विस्तृत तटीय क्षेत्र की सुरक्षा में तटीय समुदायों के साथ भारत साझेदारी की शुरुआत का प्रतीक है. इस अभियान ने तटीय सुरक्षा और सतत विकास के लिए एक नयी दिशा दिखायी है, जिससे देश के दीर्घ तटरेखा को सुरक्षित और संरक्षित रखने में मदद मिलेगी. उल्लेखनीय है कि इस कार्यक्रम की शुरुआत सात मार्च को केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने राजदित्य चोल सीआइएसएफ क्षेत्रीय प्रशिक्षण केंद्र तक्कोल्लम रानीपेट जिला तमिलनाडु से वर्चुअल रूप से हरी झंडी दिखाकर की थी. इस चुनौतीपूर्ण यात्रा में 125 समर्पित सीआईएसएफ साइकिल चालक जिनमें 14 महिला बल सदस्य भी शामिल थे. इन्होंने लगभग 6553 किमी की दूरी तय की जो 11 राज्यों से होकर 25 दिनों तक चली. इस साइक्लोत्थान के दौरान 1200 से अधिक प्रतिभागियों ने विभिन्न चरणों में भाग लिया. इस साइक्लोत्थान को सीआइएसएफ के तटीय क्षेत्रों में स्थित विभिन्न इकाइयों के बल सदस्यों के साथ-साथ अन्य राज्यों और केंद्र सरकार की एजेंसियों से समर्थन और महत्वपूर्ण सहयोग मिला. इस दौरान सीआइएसएफ के उप महानिरीक्षक अजय दहिया ने कहा कि इस पहल का मुख्य उद्देश्य स्थानीय निवासियों को सम्मानित करना और तट प्रहरी उनके अमूल्य योगदान को मान्यता देना था. इस प्रयास का उद्देश्य इन समुदायों को सशक्त बनाना भी था, जिससे वे तटीय सुरक्षा के महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में सुरक्षा बलों को आंख की भूमिका को प्रभावी रूप से निभा सके.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है