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पीएम आवास योजना में गड़बड़ी उजागर

विकास कोडरमा़ : रकार की महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री आवास योजना में बड़े स्तर पर गड़बड़ी किये जाने की प्रशासनिक पुष्टि हुई है. जिले के झुमरीतिलैया नगर पर्षद क्षेत्र में तो पदाधिकारियों ने मनमाने तरीके से लाभुकों का चयन किया और अपने तरीके से कई लोगों को योजना का लाभ देते चले गये. शिकायत मिलने पर डीसी […]

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कोडरमा़ : रकार की महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री आवास योजना में बड़े स्तर पर गड़बड़ी किये जाने की प्रशासनिक पुष्टि हुई है. जिले के झुमरीतिलैया नगर पर्षद क्षेत्र में तो पदाधिकारियों ने मनमाने तरीके से लाभुकों का चयन किया और अपने तरीके से कई लोगों को योजना का लाभ देते चले गये. शिकायत मिलने पर डीसी संजीव कुमार बेसरा ने पूरे मामले की जांच करायी तो प्रथम दृष्टया कई स्तर पर गड़बड़ियां सामने आयी है. डीडीसी आदित्य कुमार आनंद ने प्रधानमंत्री आवास योजना में बरती गयी अनियमितता की जांच के दौरान पाया है कि योजना से संबंधित लाभुकों के चयन में कार्यपालक पदाधिकारी समेत अन्य ने मनमाने तरीके से काम किया. यही नहीं नियम, कायदे का पालन नहीं करते हुए अपने तरीके से कार्य किया गया और योजना से संबंधित भुगतान किया गया.

योजना के क्रियान्वयन से लेकर लाभुकों के चयन तक में बिचौलिये की संभावना से भी इंकार नहीं किया गया है.

डीडीसी की इस जांच रिपोर्ट के बाद डीसी ने नगर पर्षद झुमरीतिलैया के कार्यपालक पदाधिकारी पंकज कुमार झा से स्पष्टीकरण मांगते हुए स्थिति स्पष्ट करने को कहा है. वहीं दूसरी ओर डीडीसी ने विस्तृत जांच के लिए सभी वार्डों के लिए अलग-अलग कमेटी गठित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. सभी वार्डों में भौतिक सत्यापन के बाद बड़े स्तर की गड़बड़ी के खुलासे की संभावना है. ज्ञात हो कि नगर पर्षद झुमरीतिलैया व नगर पंचायत कोडरमा में प्रधानमंत्री आवास योजना में लाभुकों के चयन में मनमानी व कमीशनखोरी का मामला पिछले माह प्रभात खबर ने प्रमुखता से उठाया था. इसकी शिकायत सांसद डाॅ रवींद्र राय व जिले के प्रभारी मंत्री रणधीर सिंह तक भी पहुंची थी. प्रभारी मंत्री ने पिछले दिनों इसकी जांच को लेकर डीडीसी की अध्यक्षता में कमेटी गठित की थी. गठित जांच कमेटी ने गत नौ अप्रैल को नगर पर्षद कार्यालय में जाकर जांच की और योजना से संबंधित जानकारी ली तो गड़बड़ी की बात साफ तौर पर सामने आ गयी.

डीडीसी ने 19 अप्रैल को डीसी को सौंपी अपनी रिपोर्ट में साफ लिखा है कि लाभुकों के चयन से पूर्व योजना से संबंधित जांच नहीं की गयी है. वित्तीय वर्ष 2015-16 में योजना से संबंधित लाभुकों के 3300 आवेदन प्राप्त हुए. इसमें कार्यपालक पदाधिकारी द्वारा 800 लाभुकों का चयन किया गया. लाभुक का चयन व मापदंडों की जांच, स्थल जांच प्रतिवेदन आदि से संबंधित कागजात, अभिलेख कार्यालय में मौजूद नहीं हैं. ऐसी परिस्थिति में कार्यपालक पदाधिकारी द्वारा मनमाने तरीके से लाभुकों के चयन की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है. यही नहीं उन्होंने स्पष्ट लिखा है कि योजना में पारदर्शिता का अभाव स्पष्ट परिलक्षित होता है. विधिवत प्रक्रिया का अनुपालन नहीं करने से घोर अनियमितता की संभावना है. गड़बड़ी देखते हुए डीडीसी ने आवास योजना से संबंधित अगले किस्त का भुगतान करने से पूर्व सभी लाभुकों की योग्यता की जांच करने का निर्देश दिया है.

बिना सर्वेक्षण कर आठ सौ लाभुकों का चयन

डीडीसी ने योजना को लेकर लाभुकों की चयन प्रक्रिया पर भी सवाल उठाये हैं. जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि 800 लाभुकों का चयन कार्यालय में प्राप्त आवेदन में से किया गया है, जबकि इसके लिए जरूरी व निर्धारित सर्वेक्षण कार्य नहीं किया गया. यही नहीं आवेदन प्राप्त करने संबंधी सूचना, प्रचार-प्रसार, विज्ञापन उपलब्ध नहीं है. प्राप्त आवेदनों की पंजी भी संधारित नहीं है.

आवेदन पारदर्शी तरीके से प्राप्त नहीं किया गया. ऐसे में आवेदन प्राप्त करने में मनमानी करने व बिचौलिया की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता. उन्होंने यह भी जिक्र किया है की नगर प्रबंधक द्वारा आवेदनकर्ता की ओर से दिये गये आवेदन की सूची में किस आधार पर 800 लाभुकों का चयन किया गया है, वह भी स्पष्ट नहीं है. डीडीसी ने गड़बड़ी की ओर इशारा करते हुए अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि कई योजनाओं का फोटोग्राफ देखने से स्पष्ट होता है कि लाभुक के पास पूर्व में पक्का मकान मौजूद है. कुछ योजनाएं पूर्व के मकान का विस्तारीकरण प्रतीत होती है. उन्होंने वित्तीय वर्ष 2016-17 में प्राप्त आवेदन में से नगर प्रबंधक द्वारा करीब सौ लाभुक का स्थल जांच कर व भूमि प्रतिवेदन के आधार पर चयन की प्रक्रिया का जिक्र करते हुए कहा है कि प्राप्त आवेदनों की जांच पदाधिकारी व कर्मी द्वारा नहीं की जाती. यही नहीं किसी लाभुक के पूर्व में किसी अन्य योजना के तहत प्राप्त आवास व अन्य के संबंध में भी जांच नहीं की गयी है.

गड़बड़ी को इन बातों से मिला बल

आवास योजना का लाभ पहले फेज में ऐसे लोगों को देना है जिनके पास अपनी जमीन है, पर मकान नहीं, या फिर कच्चा मकान है. इसके लिए सबसे पहले सर्वे करना जरूरी है. सर्वे करने के इस नियम का पालन ही नहीं किया गया और अपने स्तर से ही आवेदन लेकर लाभुकों का चयन कर लिया गया.

योजना का लाभ लेने के लिए लाभुक की आय वार्षिक तीन लाख से कम है इसकी जांच करना सुनिश्चित करना है. लाभुक से आय से संबंधित शपथ पत्र लेकर भी लाभ देने का प्रावधान है, पर जितने भी लाभुकों को योजना का लाभ दिया गया उनमें से सभी ने शपथ पत्र के माध्यम से ही यह जानकारी दी है, किसी के यहां जाकर भौतिक सत्यापन नहीं किया गया की वास्तव में स्थिति क्या है.

आवेदन लेने से लेकर उसे स्वीकृत करने की प्रक्रिया पर इसलिए भी सवाल उठा है की जितने भी आवेदन कार्यालय को प्राप्त हुए उनमें से किसी का भी आवेदन अयोग्य नहीं मिला. कार्यालय में आये आवेदनों में से अपने मन के अनुसार चयन कर लिया गया. एक भी आवेदन ऐसा नहीं बताया गया जिसे रद किया गया हो.

जांच रिपोर्ट मिली है. इसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जा रही है. फिलहाल कार्यपालक पदाधिकारी से स्पष्टीकरण मांगा गया है. पूरी जांच के बाद कार्यपालक के विरुद्व कार्रवाई को लेकर राज्य सरकार को लिखा जायेगा.

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