आंदोलन के दौरान सरकारी कामकाज में बाधा व तोड़फोड़ करने का था आरोप
कोडरमा बाजार : वर्ष 2010 में जिला मुख्यालय में ढिबरा पर रोक के विरोध समेत अन्य मुद्दों को लेकर हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान सरकारी कामकाज में बाधा डालने व तोड़-फोड़ के आरोपी राजधनवार से भाकपा माले के विधायक राजकुमार यादव, बगोदर के पूर्व विधायक विनोद सिंह समेत 16 आरोपियों को सोमवार को न्यायालय ने बरी कर दिया. इन लोगों पर आरोप सिद्ध नहीं होने पर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी विशाल श्रीवास्तव की अदालत ने यह फैसला सुनाया.
जानकारी के अनुसार उक्त मामले में 12 गवाहों का परीक्षण कराया गया. बचाव पक्ष से अधिवक्ता सुरेश प्रसाद, प्रकाश राम व सुधीर कुमार, जबकि अभियोजन की ओर से एपीपी विनोद प्रसाद थे. अभियोजन द्वारा न्यायालय के समक्ष आरोप पत्र में नामित सभी गवाहों का साक्ष्य कराया गया, परंतु अभियोजन पक्ष अपने गवाहों से अभियुक्तों पर लगे आरोपों को साबित करने में नाकाम रहा. इस आधार पर सीजेएम न्यायालय द्वारा उपरोक्त वाद में नामित सभी अभियुक्तों को रिहा कर दिया गया. आरोपियों में से पूर्व विधायक विनोद सिंह को छोड़ सभी आरोपी सोमवार को सीजेएम की अदालत में पेश हुए, जबकि पूर्व विधायक विनोद सिंह की ओर से उनके वकील ने पक्ष रखा. इसके बाद अदालत ने अपना फैसला सुनाया.
इस मामले में कुल 22 नामजद आरोपी थे
अगस्त 2010 में भाकपा माले द्वारा समाहरणालय में ढिबरा पर रोक लगाने के विरोध में व अन्य जन मुद्दों को लेकर प्रदर्शन किया गया था. आरोप था कि प्रदर्शनकारियों द्वारा समाहरणालय भवन का शीशा तोड़ा गया व पत्थरबाजी की गयी. इस मामले को लेकर धरना प्रदर्शन में बतौर दंडाधिकारी प्रतिनियुक्त मत्स्य प्रसार पदाधिकारी प्रमोद कुमार द्वारा उक्त मामले को लेकर कोडरमा थाना में कांड संख्या 339/10 भादवि की धारा 147,148,149, 323, 337, 353, 427 और लोक संपत्ति अधिनियम की धारा तीन के तहत केस दर्ज कराया गया था. इस मामले में 22 नामजद व 240-250 अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज था.
बाद में पुलिस चार्जशीट के बाद 16 आरोपियों के विरुद्ध कोर्ट में मामला चला. इसमें माले विधायक राजकुमार यादव, पूर्व विधायक विनोद सिंह, पूर्व जिप सदस्य रामधन यादव, बासुदेव यादव, विजय यादव, ईश्वरी राणा, राकेश मोदी, चरणजीत सिंह सरदार, प्रेम प्रकाश, संदीप कुमार, बसंत मेहता, सीताराम सिंह, बबन मेहता, लक्ष्मण मंडल, विनोद यादव, बजरंगी सिंह, बासुदेव यादव, रामधनी, नागेश्वर प्रसाद, अजय पांडेय, गीता जी, उषा देवी और बसंती देवी शामिल थे.