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डीवीसी प्रबंधन की मुश्किलें बढ़ी
बाधा. आंदोलन, रंगदारी व मेंटेनेंस कंपनियों से परेशान है प्रबंधन जयनगर : डीवीसी प्रबंधन द्वारा संचालित 1000 मेगावाट का बांझेडीह पावर प्लांट का विकास थम सा गया है. प्रबंधन इन दिनों आंदोलन, रंगदारी व मेंटेनेंस कंपनियों द्वारा काम करने से कतराने से परेशान है. ऊपर से राजनीतिक दबाव अलग है. प्रबंधन की सूत्रों की माने, […]
बाधा. आंदोलन, रंगदारी व मेंटेनेंस कंपनियों से परेशान है प्रबंधन
जयनगर : डीवीसी प्रबंधन द्वारा संचालित 1000 मेगावाट का बांझेडीह पावर प्लांट का विकास थम सा गया है. प्रबंधन इन दिनों आंदोलन, रंगदारी व मेंटेनेंस कंपनियों द्वारा काम करने से कतराने से परेशान है. ऊपर से राजनीतिक दबाव अलग है.
प्रबंधन की सूत्रों की माने, तो अबतक डीजीआर, डीसीआइपीएस व केसी शर्मा कंपनी प्लांट के बाहर होनेवाले भयादोहन व दबाव से घबराकर प्लांट से किनारा कर चुकी है और जो भी कंपनी काम कर रही है, वह एक्सटेंशन लेने में दिलचस्पी नहीं ले रही हैं. ऐसे में प्लांट का काम काज पूरी तरह प्रभावित है.
सूत्रों के अनुसार ऐसे कंपनियों के संचालकों व साइट इंचार्जों पर झुमरीतिलैया से फोरलेन होते हुए प्लांट के गेट से बाहर तक रंगदारी मांगने व अपने लोगों को काम पर रखने का अनावश्यक दबाव बनाया जाता है. हाल के दिनों में खेड़ोबर में प्लांट से सीधे कनेक्शन जोड़ कर बिजली जलायी जा रही थी. प्रबंधन ने जब इस मामले में कार्रवाई की, तो कुछ लोगों ने एस पौंड के मोटर पर कार्यरत एसएन सिंह कंपनी के ऑपरेटर के साथ मारपीट की. ऐसी घटनाएं प्राय: घटती रहती है. मगर विवाद नहीं बढ़े, इसे देख मामला सामने नहीं आ पाता है.
एस पौंड नहीं बनने से उत्पादन प्रभावित
विभागीय सूत्रों की माने, तो एस पौंड नहीं बनने के कारण विद्युत उत्पादन भी प्रभावित हो रहा है. इसके अभाव में 1000 मेगावाट उत्पादन वाले इस प्लांट में फिलहाल 300 से 500 मेगावाट विद्युत उत्पादन हो रहा है. ऐसे में डीवीसी प्रबंधन को मुनाफा नहीं के बराबर हो रहा है और कर्ज बढ़ता जा रहा है. यहां उल्लेखनीय है कि तीन वर्ष पूर्व डीवीसी प्रबंधन द्वारा एस पौंड के भूमि अधिग्रहण के लिए जिला भू-अर्जन विभाग को राशि दी जा चुकी है.
इसके बावजूद एस पौंड के निर्माण मे कई बाधाएं आ रही है. फिलहाल एस पौंड निर्माण, रिंग रोड निर्माण, प्लांटेशन कार्य, फोरलेन का एप्रोच पथ का सर्वे बाधित रहने के कारण प्लांट व विस्थापित एरिया का विकास बाधित है. एसआइपी द्वारा सामाजिक एकीकरण के काम कराये जा रहे है. प्रबंधन की माने, तो वह विस्थापित गांवों व विस्थापितों को प्रावधान के मुताबिक हर सुविधा देने को तैयार है. प्रबंधन से विस्थापितों से विकास में सहयोग करने की अपील की है.
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