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गणित के शिक्षक पढ़ाते हैं अंगरेजी
ऊंची दुकान, फीकी पकवान कहावत बना मॉडल स्कूल कोडरमा कोडरमा बाजार : केंद्रीय विद्यालय की तर्ज पर ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों को आधुनिक शिक्षा देने के उद्देश्य से वर्ष 2012 में जिले के तीन प्रखंड कोडरमा जयनगर व मरकच्चो में खोले गये मॉडल स्कूल से अब लोगों का मोह भंग हो रहा है. इसका मुख्य […]
ऊंची दुकान, फीकी पकवान कहावत बना मॉडल स्कूल कोडरमा
कोडरमा बाजार : केंद्रीय विद्यालय की तर्ज पर ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों को आधुनिक शिक्षा देने के उद्देश्य से वर्ष 2012 में जिले के तीन प्रखंड कोडरमा जयनगर व मरकच्चो में खोले गये मॉडल स्कूल से अब लोगों का मोह भंग हो रहा है.
इसका मुख्य कारण विभागीय उदासीनता है. शुरुआती दौर में इन स्कूलों के बेहतरीन शैक्षणिक माहौल बनाने का प्रयास अब मंद पड़ता जा रहा है. फिलहाल यहां शिक्षकों की कमी के साथ-साथ बुनियादी सुविधाओं का भी अभाव है, जिसके चलते मॉडल स्कूल में पढ़ रहे बच्चों को प्रतिदिन समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.
जिला मुख्यालय स्थित परियोजना बालिका उवि के एक भवन में चल रहे मॉडल स्कूल में फिलहाल वर्ग छह से नौ तक में 54 छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं, पर सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं है.
स्कूल की स्थिति ऊंची दुकान, फीकी पकवान के कहावत को चरितार्थ कर रही है. यहां मात्र दो शिक्षक हैं. शिक्षकों की कमी के कारण एक कमरे में वर्ग छह और वर्ग नौ तथा दूसरे कमरे में वर्ग सात और आठ के बच्चों को एक साथ बैठा कर पढ़ाया जा रहा है. भवन में न तो पंखे और न बल्ब हैं. और न ही बालिकाओं के लिए शौचालय. भवन की स्थिति भी दयनीय है. फर्श जगह-जगह उखड़े हुए हैं. दीवारें भी अपनी दयनीय स्थित बयां करती नजर आती हैं.
अगर कुछ ठीक है,तो वह दोनों शिक्षक सुविधाविहीन होने के बाद भी बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के लिए प्रयासरत हैं. पहले यहां तीन शिक्षक थे, शिक्षक बहाली में एक की नौकरी हो जाने के बाद मात्र दो शिक्षक चारों वर्गों के बच्चों को शिक्षित करने में लगे हैं. जैसे-जैसे कक्षा बढ़ती जा रही है, शिक्षकों की जरूरत बढ़ती जा रही है. लेकिन विभागीय लापरवाही के कारण इस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है.
परियोजना स्कूल के शौचालय का करते हैं प्रयोग
वर्ग छह की मिताली भारती ने कहा कि स्कूल में बिजली पानी व शौचालय की कमी है, परियोजना बालिका उवि के चापानल व शौचालय का उपयोग करते हैं. लड़कों के लिए शौचालय नहीं रहने के कारण उन्हें शौच के समय बाहर जाना पड़ता है.
आशुतोष नंदन ने कहा कि यह स्कूल इंग्लिश मीडियम है, पर इंग्लिश के शिक्षक ही नहीं हैं. स्कूल से केवल किताबें ही मिलती हैं, छात्रवृत्ति व ड्रेस अभी तक नहीं मिले है. राहुल प्रसाद वर्मा ने कहा कि यहां कोडरमा प्रखंड के दूर-दराज जगहों से बच्चे किराये की गाड़ी से पढ़ने आते हैं. वह खुद भी गुमो से आता है, पहले कक्षा कम व शिक्षक तीन होने से कम से कम पढ़ाई अच्छी होती थी पर धीरे धीरे कक्षा बढ़ने व शिक्षकों की कमी के कारण अब पढ़ाई कम होने लगी है.
सरकार को चाहिए की अविलंब यहां पर्याप्त शिक्षक की व्यवस्था करें, ताकि हम अच्छे से पढ़ लिख सकें. वर्ग नौ के छात्र नीलेश मोदी ने कहा कि वह यहां कक्षा छह से पढ़ रहा है, सुविधा तो यहां शुरू से ही नहीं थी, पर पढ़ाई अच्छी होती थी. अभी भी शिक्षक मेहनत करते हैं पर बच्चों की संख्या अधिक होने के कारण यह पर्याप्त नहीं है. सिद्धि कुमारी ने कहा कि स्कूल में लाइब्रेरी, प्रयोगशाला, शौचालय, गेम किट, ब्लैक बोर्ड की कमी है. कुछ दिन पूर्व स्कूल के अभिभावकों के सहयोग से दो ब्लैक बोर्ड खरीदा गया था, जो अब पुराना होकर घिस गया है. कई मूलभूत सुविधाएं भी हमें नहीं मिलती है.
अलग से आवंटन नहीं है : नवल किशोर
प्रभारी प्रधानाचार्य नवल किशोर सिंह ने स्कूल में बुनियादी सुविधाओं की कमी को स्वीकारते हुए कहा कि क्या करें, अलग से इसके लिए कोई आवंटन नहीं होने के कारण कुछ करने से असमर्थ हैं. जमीन के कारण स्कूल का अपना भवन अभी तक नहीं बन पाया है. जहां तक शिक्षकों की कमी है, इसके लिए वरीय पदाधिकारी को सूचित किया गया है.
शीघ्र दुरुस्त होगी व्यवस्था : डीइओ
डीइओ पीपी झा ने कहा कि मॉडल स्कूल की समस्याओं को शीघ्र दूर किया जायेगा. कहा कि सरकार मॉडल स्कूल के लिए शिक्षकों के मानदेय के अलावा अलग से कोई भी आवंटन नहीं देती है और न ही मॉडल स्कूल के लिए अलग से अभी तक शिक्षक की बहाली हुई है.
मगर गरमी को देखते हुए पंखा व पेयजल की व्यवस्था वे अपने स्तर से कर देंगे. कोडरमा व जयनगर में जमीन के कारण स्कूल भवन नहीं बन पाया है. मरकच्चो प्रखंड में मॉडल स्कूल का भवन बन रहा है. शिक्षक नियुक्ति के मामले में चल रही जांच के बाद जहां-जहां मॉडल स्कूल में शिक्षकों की कमी है, उसे दूर कर लिया जायेगा. शीघ्र ही मॉडल स्कूल के बच्चों को साइकिल व पोशाक दी जायेगी.
विद्यालय में कार्यरत शिक्षक संदीप कुमार व अनिल पांडेय को प्रति घंटी 120 रुपये बतौर मानदेय दिया जाता है. वह भी सिर्फ पांच घंटी के लिए, पर शिक्षकों की कमी के कारण उन्हें आट घंटी क्लास लेनी पड़ती है.
इतना ही नहीं संदीप गणित के शिक्षक हैं पर वे गणित के अलावा विज्ञान व इंग्लिश की भी क्लास लेते हैं. वहीं अनिल पांडेय एसएसटी के अलावा हिंदी व संस्कृत भी पढ़ाते हैं. शिक्षक संदीप कुमार व अनिल पांडेय ने बताया कि इसे केंद्रीय विद्यालय की तर्ज पर खोला गया है, इसके बावजूद उन्हें उस हिसाब से मानदेय नहीं मिलता है. केंद्रीय विद्यालयों में अनुबंधित शिक्षकों को बतौर मानदेय 26,250 रुपये दिया जाता है.
उच्च योग्यताधारी होने के बावजूद हमें उनके अनुरूप मानदेय नहीं मिलता है. कई बार इसके लिए गुहार भी लगायी हैं, पर समय पर मानदेय भी नहीं मिलता है. यहां शिक्षकों की कमी है, यहां कम से कम सात शिक्षक होने चाहिए.
यह उद्देश्य था मॉडल स्कूल का
इस स्कूल की शुरुआत केंद्र सरकार द्वारा की गयी थी. सरकार की मंशा केंद्रीय विद्यालयों की तर्ज पर ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों को आधुनिक शिक्षा देने की थी. शुरुआती दौर में भले ही यह डे स्कूल के रूप में शुरू हुआ, पर इसे बाद में आवासीय विद्यालय के रूप में तब्दील करना था, मगर केंद्र खुले लगभग पांच वर्ष होने के चले अभी तक इसे आवासीय विद्यालय में तब्दील नहीं किया गया है. हाल के वर्षों में इसे राज्य सरकार के हवाले किये जाने की सूचना है. प्रति वर्ष मई जून में जैक द्वारा प्रवेश परीक्षा ली जाती है. प्रवेश परीक्षा में सफल होने पर कक्षा छह में नामांकन होता है.
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