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उपस्थिति पंजी में आवेदन पिनअप
डीडीसी की जांच रिपोर्ट में उठाये गये हैं कई सवाल कोडरमा : सदर अस्पताल कोडरमा में काम से जी चुरा रहे डाक्टरों की हकीकत पूरी तरह सामने आ गयी है. मीडिया में आयी खबरों के बाद डीसी ने पूरे मामले के जांच के आदेश डीडीसी अभय कुमार सिन्हा को दिया था. डीडीसी ने सदर अस्पताल […]
डीडीसी की जांच रिपोर्ट में उठाये गये हैं कई सवाल
कोडरमा : सदर अस्पताल कोडरमा में काम से जी चुरा रहे डाक्टरों की हकीकत पूरी तरह सामने आ गयी है. मीडिया में आयी खबरों के बाद डीसी ने पूरे मामले के जांच के आदेश डीडीसी अभय कुमार सिन्हा को दिया था.
डीडीसी ने सदर अस्पताल जाकर निरीक्षण के बाद जो रिपोर्ट डीसी के रवि कुमार को सौंपी है, उसमें उपस्थिति पंजी में छेड़छाड़ से इनकार नहीं किया गया है. डीडीसी ने अपनी रिपोर्ट में दंत चिकित्सक डॉ शरद कुमार व सदर अस्पताल की कार्यप्रणाली को इंगित करते हुए कई सवाल उठाये हैं. साथ ही डॉ शरद से स्पष्टीकरण पूछने व संतोषप्रद जवाब नहीं मिलने पर कार्रवाई की सिफारिश भी की है.
उल्लेखनीय है कि बीते दिनों प्रभात खबर ने सदर अस्पताल में डॉक्टरों की बन रही फरजी हाजिरी के मामले को प्रमुखता से उठाया था. इसी दिन डीसी ने मामले के जांच के आदेश दिये थे. बुधवार को स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव के विद्या सागर ने भी सदर अस्पताल के निरीक्षण के दौरान उक्त गड़बड़ी को देखा था तथा डॉक्टर से संबंधित पूरी जानकारी तलब की है.
डीडीसी की पूरी रिपोर्ट : डीडीसी की रिपोर्ट में लिखा है कि 12 जनवरी को सदर अस्पताल में कार्यरत चिकित्सक डॉ शरद कुमार की उपस्थिति की जांच की गयी. उपाधीक्षक कार्यालय से प्राप्त पंजी में डॉ शरद द्वारा पांच जनवरी को तीन मरीज, छह जनवरी को दो, सात जनवरी को तीन व आठ जनवरी को तीन मरीज की चिकित्सा किये जाने की बात अंकित है.
उपस्थिति पंजी में डॉ शरद दिनांक आठ जनवरी को अपराह्न् से 12 जनवरी तक के लिए आकस्मिक अवकाश की स्वीकृति तथा दिनांक 12 जनवरी को ही अपने ओपीडी बाह्य कक्ष से अनुपस्थित रहने का आवेदन दिया गया है. इस प्रकार से कुल चार दिनों का अवकाश के लिए आवेदन दिया गया है, जबकि उल्लेख तीन दिनों का ही किया गया है. डीडीसी ने आगे लिखा है कि ऐसा प्रतीत होता है कि डॉ कुमार के अवकाश के आवेदन पर सिविल सजर्न की अनुमति नहीं ली गयी है एवं आवेदन को एक पिन द्वारा उपस्थिति पंजी में नत्थी कर दी गयी है.
इससे लगता है कि यह एक गलत नीयत से कृत किया जा रहा है, ताकि अवकाश से लौटने पर आवेदन को उपस्थिति पंजी से निकाल कर फाड़ कर फेंका जा सके. उपस्थिति पंजी में 9,10,11,12 जनवरी को अस्पष्ट रूप से उपस्थिति दर्ज की गयी है, जो एक संकेत देती है कि उपस्थिति पंजी में छेड़छाड़ की जा रही है. यह भी जानकारी मिली है कि डॉ शरद द्वारा कोई पारा मेडिकल की प्रतिनियुक्ति नहीं की गयी है. इसलिए यह ज्ञात नहीं हो पा रहा है कि पूर्व के दिवसों पर भी वे उपस्थिति के दिन चिकित्सा का कार्य कर रहे थे. पंजी में अंकित अल्प संख्या में मरीजों का पूर्ण पता लिखा नहीं रहने के कारण उनसे संपर्क किया जाना संभव प्रतीत नहीं हो पा रहा है.
वर्णित परिस्थिति में यह मंतव्य होगा कि डॉ शरद कुमार के अवकाश से लौटने पर उनसे कारण पृच्छा की जाये कि उपस्थिति पंजी में छेड़छाड़ करने के लिए क्या उनका किसी कार्यालय कर्मी से मिलीभगत है. कारण पृच्छा संतोषप्रद नहीं होने पर यह माना जायेगा कि कार्यालय में कर्मियों की कमी रहने के कारण डॉ कुमार इस स्थिति का फायदा उठाते हुए अस्पताल में अपनी सेवा नहीं दे रहे हैं, बल्कि वे अपने निजी प्रैक्टिस में संलिप्त हैं.
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