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नगर पर्षद वसूलता है पैसा, पुलिस मारती है लाठी

झुमरीतिलैया : शहर में बाजार लगाने के लिए नगर पर्षद द्वारा पर्याप्त जगह नहीं उपलब्ध कराने के कारण आये दिन फुटपाथ पर ठेला, खोमचा व दुकान लगानेवाले लोगों को पुलिस-प्रशासन की लाठियों का सामना करना पड़ रहा है. एक तरफ नगर पर्षद द्वारा प्रतिदिन इनसे राशि की वसूली की जाती है, बावजूद इन्हें आज तक […]

झुमरीतिलैया : शहर में बाजार लगाने के लिए नगर पर्षद द्वारा पर्याप्त जगह नहीं उपलब्ध कराने के कारण आये दिन फुटपाथ पर ठेला, खोमचा व दुकान लगानेवाले लोगों को पुलिस-प्रशासन की लाठियों का सामना करना पड़ रहा है. एक तरफ नगर पर्षद द्वारा प्रतिदिन इनसे राशि की वसूली की जाती है, बावजूद इन्हें आज तक कोई पर्याप्त व स्थायी जगह उपलब्ध नहीं कराया गया है. इस वजह से लोग सड़क के किनारे फुटपाथ पर दुकान लगा कर अपना जीवन यापन करने पर मजबूर हैं. इसके बाद भी अक्सर प्रशासन के द्वारा इन्हें प्रताड़ित किया जाता है. ऐसा ही एक मामला शुक्रवार की दोपहर ब्लॉक रोड के समीप देखने को मिला. यहां एक वृद्ध महिला एक छोटी सी टोकरी में ताड़ का कोवा बेच रही थी.

तीन ग्राहक उसके पास खड़े थे. अचानक एक पुलिसकर्मी उस वृद्ध महिला के पास पहुंचा, वृद्ध महिला जब तक कुछ सोचती समझती उतने ही देर में बिना कुछ बोले उक्त पुलिस कर्मी ने टोकरी में रखे सामान को सड़क पर फेंक दिया. बारिश के बीच इस तरह के व्यवहार से वृद्ध महिला के आंखों में आंसू आ गये और महिला रोने लगी. महिला की स्थिति देख ग्राहक भी आक्रोशित हो गये. इस तरह की घटनाओं को लेकर ठेला व छोटे दुकानदारों में रोष बढ़ रहा है. पीड़ित महिला मीना देवी ने बताया कि दोपहर में बारिश हो रही थी. इस दौरान मैं ब्लॉक रोड के समीप अपने छोटी सी टोकरी में ताड़ का कोवा बेच रही थी.

मैंने यह टोकरी 500 रुपये में खरीदी थी और इससे बेचने के बाद 50 या 100 रुपये कमाती. इसी दौरान पुलिस वाला आया और पहले तो बिना कुछ बोले मेरी टोकरी को रोड में उलट दिया उसके बाद अपशब्दों का प्रयोग किया. आए दिन हो रहे इस तरह की घटना को लेकर फल विक्रेता सुनील मोदी ने बताया कि हम लोग प्रतिदिन ठेला लगते हैं और इसके एवज में नगर पर्षद को प्रतिदिन 10 रुपया देते हैं. बावजूद नगर पर्षद ने हमें कोई स्थायी जगह नहीं दिया है. यही नहीं प्रतिदिन झंडा चौक पर रहने वाला उक्त पुलिस कर्मी हम लोगों के साथ अभद्र व्यवहार करता है और हमें इधर-उधर भगाता रहता है. हम नगर पर्षद से मांग करते हैं

कि हमे उचित जगह मुहैया करायी जाये, ताकि प्रशासन द्वारा किये जाने वाला अत्याचार से हम बच सकें. वहीं ठेला पर दुकान लगाने वाले मनीष कुमार का कहना है कि पुलिस कर्मी हमें बराबर इधर-उधर भगाते रहता है. हम सड़क किनारे भी अगर दुकान लगाते हैं, तो ये हमें बराबर लाठी से मार कर भगा देता है. लाठी मारने के वजह से दो बार मेरे पैकेट में रखा फोन भी टूट गया है. फल विक्रेता मनीष सोनकर ने बताया कि बराबर प्रशासन हमें प्रताड़ित करता है. जब भी पेट्रोलिंग गाड़ी आती है, तो पुलिसकर्मी हम लोगों का तराजू और बटखरा लेकर चले जाते हैं और जब हम तराजू लेने जाते हैं तो सौ रुपया लेकर छोड़ता है. हम लोग नगर पर्षद से पूछना चाहते हैं कि कब तक हम पैसे देने के बाद भी इनका अत्याचार सहते रहें. फल विक्रेता मो आफताब मंसूरी का कहना है कि पहले हमलोग स्टेशन रोड में ठेला लगते थे. उस वक्त अतिक्रमण के बाद हमें हटा दिया गया और कहीं जगह नहीं दिया है. नगर पर्षद के द्वारा बोला गया था कि टेंपो स्टैंड हटा कर ठेला लगाने के लिए जगह दिया जायेगा, लेकिन आज तक इस पर कोई असर नहीं दिखा. एक चीज बराबर दिख जाता है कि हम ठेले वालों को प्रशासन अपनी लाठी से जानवर की तरह हमेशा हांकता है.

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