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प्लेटफॉर्म पर नहीं है पेयजल

खलारी : अरबों रुपये कमानेवाले खलारी स्टेशन पर पेयजल तक की सुविधा नहीं है. वित्तीय वर्ष 2016-17 में खलारी स्टेशन से रेलवे को 17 अरब रुपये की कमाई हुई. विडंबना है कि खलारी स्टेशन के प्लेटफॉर्म के नल सूखे हैं. यहां कई वर्षों से पानी की किल्लत बरकरार है. अब तक किये गये डीप बोर […]

खलारी : अरबों रुपये कमानेवाले खलारी स्टेशन पर पेयजल तक की सुविधा नहीं है. वित्तीय वर्ष 2016-17 में खलारी स्टेशन से रेलवे को 17 अरब रुपये की कमाई हुई. विडंबना है कि खलारी स्टेशन के प्लेटफॉर्म के नल सूखे हैं. यहां कई वर्षों से पानी की किल्लत बरकरार है. अब तक किये गये डीप बोर का हर प्रयास विफल हो चुका है. स्टेशन में चार प्लेटफॉर्म हैं. जहां यात्रियों को पानी चाहिए. इसके अलावा रेलवे आवासीय कॉलोनी तथा रनिंग स्टाफ रूम में भी पानी की आवश्यकता है. विभागीय अभियंता बताते हैं कि डीप बोर करने के क्रम में पत्थर की सतह के नीचे एक ऐसा लेयर मिलता है जो केसिन वाले भाग के नीचे बोर को भर देता है. इसलिए पानी का बड़ा भंडार नहीं मिल पाता है. इनमें से ही एक डीप बोर से डेढ़ घंटे तक पानी निकाला जाता है. इससे प्राथमिकता के आधार पर रनिंग रूम को पानी दिया जाता है. रेलवे कॉलोनी को थोड़ा बहुत पानी मिल जाता है. हालांकि कॉलोनी के लोग इसे नाकाफी बताते हैं.
स्टेशन पर ट्रेन रूकते ही यात्री प्लेटफॉर्म में लगे नलों की ओर बोतल लेकर दौड़ते हैं, फिर निराश वापस ट्रेन में बैठ जाते हैं. खलारी स्टेशन पर टाइल्स वाले नल प्लेटफॉर्म तो बना दिये गये हैं, लेकिन पानी नहीं रहने के कारण ये बेकार साबित हो रहे हैं. वहीं विभाग के ही कुछ लोग बताते हैं कि बोरिंग करनेवाले ठेकेदार के साथ रेल प्रबंधन का जो शर्त होता है, वह इतनी पेचीदा है कि खलारी जैसे इलाके में जल्दी कोई ठेकेदार डीप बोर करने को राजी नहीं होता है.

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