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वायु प्रदूषण ने लोगों का जीना मुहाल किया
खलारी : खलारी में वायु प्रदूषण से आम जनजीवन परेशान है. हवा को दूषित करने में क्षेत्र की कोयला खाने प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से जिम्मेवार हैं. कोयले की खुली खानों में उत्पादन से लेकर रेल साइडिंगों में कोयला अनलोडिंग और रेल रैक में लोडिंग तथा सड़क मार्ग से कोयला ढुलाई के दौरान कोल डस्ट […]
खलारी : खलारी में वायु प्रदूषण से आम जनजीवन परेशान है. हवा को दूषित करने में क्षेत्र की कोयला खाने प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से जिम्मेवार हैं. कोयले की खुली खानों में उत्पादन से लेकर रेल साइडिंगों में कोयला अनलोडिंग और रेल रैक में लोडिंग तथा सड़क मार्ग से कोयला ढुलाई के दौरान कोल डस्ट उड़ता है. प्रतिदिन करीब 700 से 800 ट्रक कोयला लेकर खलारी ओवरब्रीज से आवागमन करते हैं. शाम आठ बजे नो इंट्री खुलते ही कोयला ट्रकों का परिचालन शुरू हो जाता है.
एक के बाद एक ट्रक और उसके पीछे उड़ती धूल, सीधे आसपास के आवासीय घरों में पहुंच जाते हैं. सांस लेने में परेशानी होने लगती है. खलारी के पेड़-पौधों के पत्ते भी रंगहीन हो गये हैं. बोर्ड पढ़ कर आसपास के दुकानों को ढूंढ़ना मुश्किल है. अनेक लोग सड़क पर चलते समय धूल से बचने के लिए मुंह पर मास्क लगाते हैं. पिछले दिनों ही राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद द्वारा खलारी में कोयला ढोनेवाले डंपरों को तिरपाल ढक कर कोयला ढोने की हिदायत दी गयी थी. कुछ दिनों तक तो तिरपाल ढकने के आदेश का पालन किया गया, लेकिन जल्द ही हालात पूर्ववत हो गये. उल्लेखनीय है संविधान के अनुच्छेद 21 में आमजन को जीवन का अधिकार दिया गया है. जिसके तहत हर नागरिक को शुद्ध हवा, पानी का अधिकार है.
लेकिन खलारी कोयलांचल के हालात कुछ अलग है. छोटे बच्चे एलर्जिकल अस्थमा के शिकार हो रहे हैं. कम उम्र में लोगों को दमा की बीमारी हो रही है. कई लोगों की फेफड़े में संक्रमण के कारण मृत्यु हो चुकी है. अस्पतालों में अक्सर छोटे बच्चे नेब्युलाइजर लगाये दिखाई पड़ जाते हैं. विधायक व सांसद को भी इस स्थिति से अवगत कराया जा चुका है.
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