डकरा : खलारी प्रखंड के कुल 14 पंचायत के 30 हजार पालतू पशुओं की स्वास्थ्य सुविधा रात्रि प्रहरी के भरोसे है. प्रखंड में भ्रमणशील पशु चिकित्सा पदाधिकारी डॉ मनमोहन महतो की पोस्टिंग है, लेकिन पिछले एक साल से उन्हें किसी पशुपालक ने नहीं देखा.
जानकारी अनुसार दिसंबर 2012 में डॉ महतो की पोस्टिंग खलारी में हुई थी, लेकिन वे दो-तीन माह में एक-दो बार यहां आते हैं. प्रखंड के पशुपालकों ने बताया कि पिछले साल मई व जून के बीच मैक्लुस्कीगंज में एक हजार मुर्गी, जून में होयर में 40 बकरी, जुलाई 2013 से जनवरी 2014 के बीच खलारी, केडी, मोहननगर, केडीएच, राय, सुभाषनगर, धमधमिया व डकरा में कई दुधारू गाय की विभिन्न बीमारियों से मौत हो चुकी है. डॉ महतो से संपर्क करने पर वे विभाग के खलारी अस्पताल के रात्रि प्रहरी का फोन नंबर देकर उस पर सूचना देने को कहते हैं. उक्त रात्रि प्रहरी ही बीमार पशुओं का उपचार करता है.
खलारी में किसी प्रखंड पशुपालन पदाधिकारी की भी पोस्टिंग नहीं है. बुढ़मू के बीएचओ खलारी की व्यवस्था देखते हैं. बुढ़मू बीएचओ चुन्नू तिर्की को जब खलारी की व्यवस्था का जानकारी दिया गया, तो उन्होंने इसे एक गंभीर मामला बताते हुए कहा कि टीवीओ(टूरिंग वेटनरी ऑफिसर) को ड्यूटी करना चाहिए. इधर, इस मामले पर टीवीओ डॉ मनमोहन महतो से जब पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि वे अक्सर खलारी जाते रहते हैं. कैंप भी लगाते हैं.
कृत्रिम गर्भधारण की व्यवस्था नहीं
खलारी में कृत्रिम गर्भधारण की भी कोई व्यवस्था नहीं है, जिससे दुधारू गाय व भैंस का विकास नहीं हो पा रहा है. मैक्लुस्कीगंज में एक कृत्रिम गर्भधारण उपकेंद्र है, लेकिन यहां पिछले 25 साल से कोई भी पर्यवेक्षक नहीं है.
चिकित्सा केंद्र का अपना भवन नहीं
खलारी में पशु चिकित्सा केंद्र का अपना भवन नहीं है. खलारी के करकट्टा में पिछले 40 साल तथा मैक्लुस्कीगंज में 50 साल से किराये के भवन में केंद्र चल रहा है. दो साल पहले मैक्लुस्कीगंज केंद्र को लपरा पंचायत भवन में शिफ्ट किया गया था, लेकिन वहां कोई नहीं मिलता. यहां एक अनुसेवक एक परवैधिक सहायक और एक रात्रि प्रहरी की पोस्टिंग है. वहीं करकट्टा में एक पशुधन पर्यवेक्षक, एक अनुसेवक और एक रात्रि प्रहरी की पोस्टिंग है. यहां कभी-कभार तीनों मिल जाते हैं, लेकिन उनसे इलाज संभव नहीं हो पाता और न ही कोई दवा मिलती है.