महीने में एक बार आकर हाजिरी बनाते हैं चिकित्सक
झोला छाप चिकित्सकों से इलाज कराने को मजबूर हैं मरीज
तमाड़ : प्रखंड के चिरूडीह टोला पिताइडीह गांव में डायरिया का प्रकोप विगत दो सप्ताह से जारी है. लोग कुएं का गंदा पानी पीने को विवश हैं. स्वास्थ्य विभाग द्वारा कुएं में ब्लीचिंग नहीं डाला गया है. ग्रामीणो को उचित चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नहीं है. पंचायत में एक डाॅक्टर व एक एएनएम पदस्थापित है, परंतु चिकित्सक को कभी भी ग्रामीणों ने नहीं देखा है. सप्ताह में एक-दो दिन ही एएनएम पंचायत जाती है और उपस्वास्थ्य केंद्र में कुछ समय बैठ कर चली जाती है. न गरीबों को केंद्र से दवा मिलती है और न इलाज हुआ है. स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी सिर्फ कागजों पर अपना काम निबटा देते हैं.
तमाड़ स्वास्थ्य केंद्र में भी चिकित्सकों की यही स्थिति है. महीने में एक बार अस्पताल आते हैं और पूरे माह की हाजिरी बना कर तनख्वाह उठाते हैं. लोगों को एंबुलेंस सेवा भी उपलब्ध नहीं है. जबकि एंबुलेंस स्वास्थ्य केंद्र में पड़ी रहती है. तमाड़ के ग्रामीण इलाज कराने के लिए विवश होकर बुंडु या रांची जाते हैं. इधर डायरिया से पीड़ित लोग गांव के झोला छाप डाॅक्टर से इलाज कराने को मजबूर हैं. गांव की सुभद्रा देवी, चंपा देवी, पुरनी कुमारी, महेश्वरी देवी सहित दर्जनों लोग डायरिया से अाक्रांत हैं.
तमाड़ पूर्वी जिला परिषद सदस्य बाल कृष्ण सिंह मुुंडा ने स्वास्थ्य केंद्र के हाल को देखते हुए झारखंड के मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री एवं स्वास्थ्य सचिव को लिखित आवेदन देकर यहां पदस्थापित सभी डाॅक्टरों व एएनएम की उपस्थिति सुनिश्चित करने की मांग की है. उन्होंने डाॅक्टरों की रवैया में सुधार नहीं होने पर उग्र आंदोलन करने की चेतावनी दी है.
सीएस डॉ शिव शंकर ने मामले में कहा कि अगर स्वास्थ्य केंद्र व उपकेंद्रों में चिकित्सक नहीं जाते हैं, तो जांच कर उन पर कार्रवाई की जायेगी. लोगों को चिकित्सा सुविधा मुहैया करायी जायेगी.