उन्होंने किशोरियों को अपने हक व अधिकार पाने की दिशा में जागरूक होने पर बल दिया. कहा कि कहीं भी शोषण या अत्याचार की बात सामने आये, तो अविलंब उन्हें या फिर एसपी या नजदीकी थाना को सूचना दें. एसपी अश्विनी सिन्हा ने कहा कि पुलिस किशोरियों व महिलाओं पर अत्याचार मामले में गंभीर है. इस बाबत पुलिस पदाधिकारियों को प्रशिक्षण भी दिया गया है.
झारखंड में अबतक 1200 महिलाओं को डायन करार देकर मार दिया गया है. हर वर्ष लगभग 33000 बालक-बालिका बाल व्यापार या असुरक्षित पलायन के शिकार होते हैं. पद्मश्री सुनीता कृष्णन ने कहा कि किशोरियों व महिलाओं की बात करें, तो आज अधिकतर हिंसा हम सबों के मौन रहने के कारण होती है. परिवार की आजादी का दुरुपयोग नहीं वरन आजादी के साथ जिम्मेवारियों का बखूबी निर्वहन करना है. मौके पर समेकित बाल संरक्षण संस्थान के निदेशक राजेश सिंह, झारखंड राज्य बाल कल्याण संरक्षण आयोग के सदस्य मनोज कुमार, बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष मनोज राय, सुनील गुप्ता, प्रीति, प्रकाश सिंह, सहयोग विलेज के निदेशक डॉ मंजीत सिंह, राजा दुबे, रंजीता, शमीमुद्दीन अंसारी आदि मौजूद थे.