प्रभात चर्चा. आयोजित प्रभात चर्चा में मनरेगा लोकपाल प्रवीण ठाकुर ने कहा
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मनरेगा योजना नहीं, मजदूरों के लिए कानून है
प्रभात चर्चा. आयोजित प्रभात चर्चा में मनरेगा लोकपाल प्रवीण ठाकुर ने कहा जामताड़ा : किसी भी विषय-वस्तु को जानने के लिए एक विशेषज्ञ की आवश्यकता होती है. विषय-वस्तु को जाने बिना हम कुछ भी कह भी नहीं सकते. इसलिए हर विषय में ज्ञान जरूरी होता है. प्रभात खबर हर शनिवार को प्रभात चर्चा का आयोजन […]
जामताड़ा : किसी भी विषय-वस्तु को जानने के लिए एक विशेषज्ञ की आवश्यकता होती है. विषय-वस्तु को जाने बिना हम कुछ भी कह भी नहीं सकते. इसलिए हर विषय में ज्ञान जरूरी होता है. प्रभात खबर हर शनिवार को प्रभात चर्चा का आयोजन कर एक विशेषज्ञ से बात कर आपके द्वारा पूछे गये सवालों का जबाव देते हैं. इस शनिवार को हमारे मेहमान थे मनरेगा के लोकपाल प्रवीण ठाकुर. मनरेगा को लोग आज भी एक योजना समझते हैं. लेकिन मनरेगा योजना नहीं, बल्कि एक कानून है, जो मजदूरों के हित के लिए बनायी गयी है. मनरेगा में मजदूरों के क्या-क्या अधिकार है. मजदूर इससे अनजान हैं, जिसके कारण ही मनरेगा में घपले बाजी आजतक होती रही है. प्रस्तुत है आपके द्वारा पूछे गये सवालों का सिलसिलेवार जबाव.
सवाल: मनरेगा क्या है.
मनमोहन ठाकुर, कुंडहित
जबाव: मनरेगा एक कानून है, जेा मजदूरों के कल्याण के लिए बनायी गयी है. गांव में रहने वाले अकुशल मजदूरों को उसके गांव या पंचायत में सौ दिन रोजगार देने की गांरटी है.
सवाल: मनरेगा एक्ट कब से लागू है.
नयन माजी, कुंडहित
जबाव: मनरेगा एक्ट वर्ष 2006 में बनी है. तब से ये एक्ट लागू है. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के सरकार में मनरेगा कानून बना है.
सवाल: मनरेगा अन्य योजना से कैसे भिन्न है.
राकेश कुमार, करमाटांड़
जबाव: मनरेगा एक कानून है. मजदूरों को सौ दिन रोजगार देने की गांरटी देती है. इसमें मजदूरों के हित को ध्यान में रखा गया है. जो अन्य योजनाओं में ऐसा नहीं देखा जाता है. मनरेगा में काम नहीं मिलने पर मजदूरों को भत्ता मांगने का भी अधिकार है.
सवाल: क्या परिवार के सभी मजदूरों को सौ दिन रोजगार की गांरटी देती है.
अक्षय कुमार, नाला
जबाव: मनरेगा में मजदूर को सौ दिन रोजगार की गांरटी है. लेकिन एक ही परिवार में यदि तीन जॉब कार्ड धारी है तो तीनों को मिला कर ही सौ दिन का रोजगार मिलता है. परिवार के किसी एक को नहीं बल्कि तीनों को मिलाकर ही सौ दिन रोजगार दिये जाने का प्रावधान है.
सवाल: एक जॉब कार्ड का वैल्यू कितने दिनों का होता है.
जबाव: एक जॉब कार्ड का वैल्यू पांच वर्ष तक रहता है. पांच वर्ष के बाद उसका नवी करण किया जाता है.
सवाल: मजदूरों को काम मांगने के कितने दिनों तक रोजगार उपलब्ध कराया जाता है.
फुलमनी हेम्ब्रम, नारायणपुर
जबाव: मनरेगा एक्ट के प्रावधान के मुताबिक मजदूर के द्वारा काम मांगने पर उसे 14 दिन के अंदर काम उपलब्ध कराने का प्रावधान है. काम उपलब्ध नहीं कराने पर उसे भत्ता देने का प्रावधान बन जाता है.
सवाल: रोजगार दिवस क्या है.
मीरा कुमारी, मिहिजाम
जबाव: रोजगार दिवस मनरेगा मजदूरों के लिए आयोजित किया जाता है, जो प्रत्येक जिले में किसी एक दिन निर्धारित कर पंचायत भवन में रोजगार दिवस पर रोजगार सेवक मजदूरों से काम के लिए आवेदन लेते हैं.
सवाल: मनरेगा मजदूर को काम के दौरान मृत्यू होने पर क्या मुआवजा का प्रावधान है.
मनोज गोस्वामी, फतेहपुर
जबाव: मनरेगा एक्ट है. इस एक्ट के तहत मनरेगा योजना में काम के दौरान यदि किसी मजदूर की मौत हो जाती है तो उसे मुआवजा देने का प्रावधान है. यदि काम के दौरान शरीर का कोई अंग टूट भी जाता है तो उसकी ईलाज की भी व्यवस्था की जाती है.
सवाल: लोकपाल का मनरेगा में क्या भूमिका है.
विकास कुमार, जामताड़ा
जबाव: मनरेगा में लोकपाल की अहम भूमिका होती है. किसी भी वाजिब शिकायत मिलने पर लोकपाल उस शिकायत के आधार पर जांच करती है और जांच रिपोर्ट संबंधित पदाधिकारी को देकर कार्रवाई के लिए अनुशंसा करती है.
सवाल: लोकपाल को मनरेगा की शिकायत करने पर कितने दिनों में निपटारा होता है.
फजलूल, नारायणपुर
जबाव: मनरेगा के लोकपाल को किसी भी वाजिब शिकायत मिलने पर नियमानुसार तीस दिनों के अंदर निपटारा करने का प्रावधान है.
मनरेगा की कोई भी योजना शुरू होने से पहले क्या नियम है.
मानस, कुंडहित
जबाव: मनरेगा में कोई भी योजना शुरु होने से पहले उस योजना का डीपीआर तैयार होता है. इसलिए सबसे पहले योजना संबंधित सूचना बोर्ड लगाया जाना आवश्यक है, जिसमें मजदूरी दर, मानव दिवस सहित अन्य सूचना लिखा हुआ रहता है.
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