मिहिजाम : मोस्ट वांटेड इनामी नक्सली सरगना कुंदन पाहन के समर्पण के पश्चात सरकार द्वारा उन्हें पुनर्वास नीति के तहत सहायता एवं राशि उपलब्ध कराने से शहीद बुंडू डीएसपी प्रमोद कुमार के परिजन आहत है. शहीद के परिजन इसे शहीदों के साथ अपमान जनक स्थिति बता रहे हैं. परिजनों का कहना है कि सरकार उसे अब तक खोज नहीं पायी और अब समर्पण की कहानी पर महिमा मंडन का कार्य कर रही है. सोमवार को कुर्मीपाड़ा स्थित शहीद प्रमोद कुमार के आवास पर बड़े भाई शिव शंकर ने कहा कि यह अच्छी स्थिति नहीं है.
परिवार के अन्य सदस्यो को भी इसका मलाल है कि सरकार को जिन्हे जेल भेज कर कानूनी प्रकिया के तहत सजा दिलाना चाहिए उन्हें पुनर्वास किया जा रहा है. मां की सूनी आंख अब भी तलाशती है अपने बेटे को : शहीद प्रमोद कुमार अपने परिवार के चहेते रहे है. परिवार के अलावा दोस्त पड़ोसी परिचित सभी के लिए वे एक शुभचिंतक थे. उन्हें खो देने की पीड़ा मां नहीं भूल पायी है. वृद्ध मां आशा देवी अब ठीक से बोल नहीं पाती है. इशारे में ही परिजनों से बात करती है,
लेकिन उनकी आंखों में बेटे को खोने का दर्द महसूस किया जा सकता है. 30 जून 2008 को नक्सली हमले में प्रमोद कुमार के शिकार होने के बाद उनके पिता चिरेका कर्मी भुवनेश्वर प्रसाद भी इस आघात को बरदास्त नहीं कर पाये. घटना के बाद से लगातार बीमार रहने पर वर्ष 2013 में उनका देहांत हो गया. तीन भादयों में प्रमोद कुमार सबसे छोटे थे.