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छत्तीसगढ़ पुलिस का घोरमारा में छापा, दो गिरफ्तार

छह पुलिस अधिकारियों की टीम ने की छापेमारी रायपुर के व्यापारी से 15 हजार रुपये की हुई थी ठगी मोहनपुर : देवघर जिले में साइबर क्राइम का गढ़ घोरमारा बाजार से छत्तीसगढ़ पुलिस ने दो साइबर ठगों गौरव साह व सुमन मंडल को गिरफ्तार किया है. पुलिस ने दोनों को घोरमारा बाजार स्थित एक घर […]

छह पुलिस अधिकारियों की टीम ने की छापेमारी

रायपुर के व्यापारी से 15 हजार रुपये की हुई थी ठगी
मोहनपुर : देवघर जिले में साइबर क्राइम का गढ़ घोरमारा बाजार से छत्तीसगढ़ पुलिस ने दो साइबर ठगों गौरव साह व सुमन मंडल को गिरफ्तार किया है. पुलिस ने दोनों को घोरमारा बाजार स्थित एक घर से गिरफ्तार किया. दोनों छत पर सो रहे थे, वहीं एक अन्य आरोपित धीरज फरार हो गया.
कोर्ट में पेशी के बाद गौरव व सुमन को ट्रांजिट रिमांड पर छत्तीसगढ़ पुलिस अपने साथ ले गयी. घोरमारा के गौरव, सुमन व धीरज पर छत्तीसगढ़ के जिला रायपुर थाना सिविल लाईन कांड संख्या 331/17 धारा 420, 120 बी के तहत साइबर ठगी का मामला दर्ज है. रायपुर के व्यापारी मुशीर आजम ने 15 हजार रुपये की साइबर ठगी की प्राथमिकी दर्ज करायी थी. इन साइबर ठगों ने बैंक अधिकारी बनकर फोन कर मुशीर आलम से एटीएम का पिन नंबर लिया व दो किस्तों में पांच हजार व दस हजार रुपये मोबाइल वाेलेट के जरिये तीनों ने अपने-अपने बैंक खाते में पैसे का ट्रांसफर कर लिया. साइबर ठगी की प्राथमिकी दर्ज होने के बाद रायपुर क्राइम ब्रांच के साइबर एक्सपर्ट ने तीनों का बैंक खाता समेत पूरा पता निकाल लिया व सीधे घोरमारा में धावा बोला.
गौरव व सुमन की गिरफ्तारी के बाद पुलिस सुमन के पिता लक्खी मंडल को भी साथ ले गयी है. मोहनपुर थाना प्रभारी दीपक कुमार ने बताया कि लक्खी मंडल नामजद आरोपित नहीं है, पूछताछ के बाद लक्खी मंडल को छत्तीसगढ़ पुलिस छोड़ देगी. छापेमारी में रायपुर क्राइम के एसआइ राजेंद्र कंवर समेत कामेश साव, कृष्णा झारंगी, असगर अली समेत मोहनपुर थाना प्रभारी दीपक कुमार थे.
जंगलपुर में बदहाल हो गयी जिंदगी
वादों तक सिमटी विकास की कहानी
जामताड़ा जिला 17वां वर्षगांठ मना रहा है. लेकिन जिले के कई ऐसे गांव है, जो विकास से आज भी वंचित है. जिले का नारायणपुर प्रखंड के आठ पंचायत के 14 गांवों को जिला प्रशासन के द्वारा उग्रवाद प्रभावित गांव के रूप में चयन किया है. नारायणपुर के कई ऐसे गांव है, जहां के लोग विकास क्या है जानते तक नहीं हैं. दूर-दूर तक न सड़क है, ना शिक्षा, ना पीने का पानी.
जामताड़ा : लोगों को नेताओं के वादों पर भरोसा नहीं रहा. नारायणपुर प्रखंड का चंपापुर वही पंचायत है जहां कुछ वर्ष पहले ही तत्कालीन केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश पूरे तामझाम के साथ आये थे. भव्य कार्यक्रम हुआ था. लाखों खर्च हुए कार्यक्रम के एवज में लेकिन विकास के नाम पर कुछ नहीं दिया गया इस इलाके को. चलते हैं चंपापुर पंचायत का जंगलपुर गांव. नाम के अनुरूप इस गांव का वातावरण भी है. गिरीडीह जिला के बॉर्डर से सटे घनघोर जंगल के किनारे बसा है
यह गांव. यहां जाने के लिए कोई सड़क नहीं है. पथरीले रास्तों से होकर गांव जाना होता है. आदिवासियों के इस गांव में शिक्षा का स्तर भी बेहद गिरा हुआ है. तिलमिला देने वाली धूप थी बच्चे बेल के पेड़ के नीचे खेल रहे थे. उनसे नाम पूछा गया तो नहीं बताया, पढ़ाई के बारे में पूछा तो कहा स्कूल जाते ही नहीं तो पढ़ेंगे क्या. इस गांव के बगल के गांव चितामी को उग्रवाद प्रभावित की सूची में है लेकिन जंगलपुर नहीं. ये कैसा तुक.
सन्नाटा पसरा था गांव में
दिन में जंगलपुर गांव में सन्नाटा पसरा रहता है. एक-दो लोग मिले. इंटर में पढ़ने वाली शिवामुनी टुडू ने बताया कि जंगलपुर में चालीस परिवार रहते हैं. यहां के लोगों को कोई सुविधा नहीं दी गयी है. रोजगार के लिए लोग कमाने इधर उधर चले जाते हैं. दिन भर गांव में सन्नाटा रहता है. कभी कभी तो महीनों भर. शिवामुनी ने कहा विद्यालय में शिक्षक कभी कभी आते है वो भी नशे में धुत होकर. पिछले दो सप्ताह से नहीं आ रहे हैं. गांव का रंजीत टुडू स्कूल में बच्चों को समाजिकता के तौर पर पढ़ा रहे हैं. आज तक किसी प्रशासनिक पदाधिकारी व स्थानीय जनप्रतिनिधि ने कोई पहल नहीं की.
शिक्षक नहीं आते स्कूल
गांव में एक स्कूल है, जिसमें शिक्षक अपनी मनमरजी के मुताबिक पढ़ाते हैं. उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय जंगलपुर जो दूसरी मंजिला बनाया जा रहा है. विद्यालय को देखने से ऐसा प्रतीत होता है कि सिर्फ खानापूर्ति ही होती होगी. विद्या के मंदिर के बाहर गंदगी, गोबर का गोयठा, ईंट, बालू से ढ़ेर लगा हुआ है.
पहाड़ पर शौचालय, दूर है आंगनबाड़ी
जंगलपुर के कई जगह नल है जो खराब होकर पड़ा हुआ है तो कई जगह नल है ही नहीं. प्रशासन द्वारा शौचालय पहाड़ीनुमा जगह में दूर बना दिया गया है, जो लोग बिल्कुल ही व्यवहार लायक नहीं है. गांव के आमीन हांसदा, सुंदरी मरांडी, राधे टुडू ने बताया कि गांव में आंगनबाड़ी केंद्र भी नहीं है. गांव से एक किमी दूर छाताबाद में आंगनबाड़ी केंद्र है, जहां बच्चे जाते ही नहीं है.
क्या कहते हैं मुखिया
चंपापुर पंचायत के मुखिया अनिल सोरेन ने कहा कि जंगलपुर गांव को नक्सल प्रभावित की सूची में नहीं रखा गया है, लेकिन अभी तक जिला प्रशासन की टीम गांव में नहीं पहुंची है. गांव में जंगल प्लॉट रहने के कारण ही गांव में सड़क समस्या है. पंचायत में लगभग चालीस नल खराब होकर पड़ा हुआ है, लेकिन विभाग से मरम्मत नहीं करायी जा रही है. विभाग को सूचना देने के बाद भी ठीक नहीं किया गया है.

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