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कृषि विज्ञान केंद्र से सलाह लें, मिलेगी आवश्यक जानकारी

जामताड़ा : कृषि विज्ञान केंद्र बेना में दशम वैज्ञानिक सलाहकार समिति की बैठक का आयोजन किया गया. जिसमें रांची बिरसा कृषि विश्व विद्यालय से अतिरिक्त सह निदेशक डॉ सुशील प्रसाद,दुमका से एसोसिएट डायरेक्टर बीके भगत, डीडीएम नाबार्ड से वैद्यनाथ सिंह ने मुख्य रुप से भाग लिया. बैठक में वित्तीय वर्ष 2016-17 में लिये गये कार्य […]

जामताड़ा : कृषि विज्ञान केंद्र बेना में दशम वैज्ञानिक सलाहकार समिति की बैठक का आयोजन किया गया. जिसमें रांची बिरसा कृषि विश्व विद्यालय से अतिरिक्त सह निदेशक डॉ सुशील प्रसाद,दुमका से एसोसिएट डायरेक्टर बीके भगत, डीडीएम नाबार्ड से वैद्यनाथ सिंह ने मुख्य रुप से भाग लिया. बैठक में वित्तीय वर्ष 2016-17 में लिये गये कार्य योजनाओं की समीक्षा की गयी. साथ ही नया वित्तीय वर्ष के लिए लिये गये कार्य योजनाओं की जानकारी दी गयी.बैठक में किसान कैसे विभिरन्न खेती कार्य से जुड़ कर आत्म-निर्भर बनेंगे इस पर वैज्ञानिकों ने अपनी सलाह को किसानों के बीच साझा किया.

जामताड़ा जिला में कौन-कौन सी खेती के लिए उपयोगी है, खेती कार्य के लिए कौन-कौन सी खाद,दवा देना अनिवार्य है, इसकी विस्तृत जानकारी दी गयी. कौन-कौन सी खेती की संभावनाएं है और इसके लिए किसानों को क्या करना चाहिए. जामताड़ा जिला में कहां-कहां बीज ग्राम बनाये गये है. प्रस्तावित बीज ग्राम में गेंहु पांच हेक्टयर, सरसों 30 हेक्टयर, चना 10 हेक्टयर, धान 20 हेक्टयर, सब्जी 05 हेक्टयर तथा पीजन पी 20 हेक्टयर में करने की जानकारी दी गयी.

बैठक में कृषि विज्ञान केंद्र जामताड़ा के वैज्ञानिक डॉ संजीव कुमार ने जानकारी देते हुए किसानों को कहा कि जामताड़ा जिला में गेंहु उत्पादन के लिए अधिक खर्च किसानों को लग जाती है, जिसका मुख्य कारण है कि गेंहु में पानी को कैच करने की क्षमता बहुत कम होता है. पानी बहकर चला जाता है. गेंहु की खेती में अधिक सिंचाई की जरुरत पड़ती है. जबकि सरसों,

मड़वा की खेती के लिए उपयुक्त है. कम सिंचाई में ये खेती हो जाती है तथा किसानों को अधिक आय भी हो जाता है.बाजार में मड़ुवा पचास रुपये किलो बिकता है, जो सुगर के रोगी मड़ुवा की रोटी खाते हैं. डॉ कुमार ने गेंहु की खेती, धान, सब्जी की खेती में कौन सी खाद दवा दिया जाता है इसकी विस्तृत जानकारी दी.बैठक में कई किसानों ने अपनी समस्याएं रखी. कहा कि कृषि कार्य के लिए समय पर कृषि सामग्री एवं सलाह मिलने पर बेहतर खेती कर पायेंगे.जामताड़ा में मशरुम की खेती के लिए स्पॉन नहीं मिलने की जानकारी दी.

किसानों ने कहा कि देवघर, दुमका से मशरुम का स्पॉन लाना पड़ता है. कृषि विज्ञान केंद्र में उपलब्ध रहने पर उन्हें अधिक खर्च नहीं उठाानी पड़ेगी. किसान मोहन भैया ने कहा कि दिनोदिन जनसंख्या मे वृद्धि हो रही है और जमीन का बंटवारा हो रहा है. ऐसे में किसानों को मनरेगा में जोड़कर रोजगार उपलब्ध कराया जाय.

मिहिजाम के पशुपालन पदाधिकारी ने बैठक में कहा कि मिहिजाम में दुध उत्पादन काफी होता है, लेकिन किसानों को उत्पादन के हिसाब से कम पैसे मिलते हैं. मिहिजाम में प्रतिदिन पांच हजार लीटर दुध का उत्पादन होता है साथ ही साथ गोबर भी अधिक मात्रा में नाली में बहकर नष्ट हो जा रहा है. ऐसे में दुध उत्पादन करने वाले किसानों कैसे अधिक राशि मिलेगी तथा नष्ट हो रहे गोबर को कैसे बचाकर खेती कार्य में प्रयोग कर सके ते हैं. इस पर डॉ संजीव कुमार ने कहा कि कृषि विज्ञान केंद्र के पास अपना कुछ कोष नहीं है. सिर्फ जरुरी सलाह दी जाती है. कहा कि गोबर को खाद के रुप में व्यवहार कर सकते हैं,
इसके लिए उद्यान पदाधिकारी से आवश्यक सलाह लेने की बात कही. साथ ही दुध के लिए हार्टिकल्चर से जानकारी मांगने की बात कही. बिरसा कृषि विश्व विद्यालय के निदेशक डॉ सुशील प्रसाद ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि आज के दिन सभी कृषि विज्ञान केंद्र में बैठक हो रही है तथा किसानों की समस्याओं तथा कार्य योजनाओं की समीक्षा होती है. कहा कि किसान कृषि विज्ञान से जुड़ रहें. समय-समय पर जरुर कृषि संबंधी आवश्यक जानकारी दी जायेगी.किसानों की जो भी समस्याएं हैं,
वे राज्य स्तरीय बैठक में चर्चा करेंगे. इस अवसर पर कृषि विज्ञान केंद्र के डॉ करुणा कुमारी, जिला भूमी संरक्षण पदाधिकारी सुबोध प्रसाद सिंह, दृड़ संकल्प के प्रो केके घोष, ग्राम सेवा समिति के सचिव सोलोनी हेम्ब्रम,बिमल कांत घोष,मोहन भैया सहित अन्य मौजूद थे.

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