फतेहपुर : फतेहपुर स्थित ऐतिहासिक स्थल टीकेग्राम का संथाल पहाड़िया ठक्कर बप्पा सेवामंडल बीते 29 नवंबर को अपना 79वां साल पुरा कर चुका है. हालांकि वर्षगांठ को मनाने के लिए प्रशासनिक स्तर पर कोई तैयारी नहीं होने से लोग अचरज में हैं. सेवामंडल का वर्तमान में रिसीवर देवघर उपायुक्त हैं. संस्था अभी भी लाखों रुपये की आय उपलब्ध कराती है. बावजूद पिछले कई वर्षगांठ पर कोई कार्यक्रम का आयोजन नहीं होने से बुद्धिजीवि वर्ग हतप्रभ है. 29 नवंबर 1936 में समाज सुधारक ठक्कर बप्पा ने कुष्ठरोगियों की सेवा के उद्देश्य से सेवामंडल की स्थापना 60 एकड़ जमीन में की थी.
जहां रोगियों को पुनर्वास के अलावे कुटीर उद्योगों में पारंगत किया जाता था. ओड़िशा, मध्य प्रदेश, झारखंड व बिहार के कुष्ठरोगियों के इलाज व पुनर्वास के लिए सेवामंडल विख्यात था. प्रतिवर्ष 29 नवंबर को संस्था के वार्षिकोत्सव पर कई कार्यक्रम आयोजित होती थी. बिहार के कई मुख्यमंत्री, डॉ कृष्ण सिंह, विनोदानंद पंडित सहित राज्यपाल व मंत्री आकर ठक्कर बप्पा की प्रतिमा पर माल्यार्पण के बाद धूमधाम से वर्षगांठ को मनाते थे. मौके पर बड़े मेले का आयोजन भी होता था, लेकिन 1993 में संस्था के सचिव व महामंत्री के आपसी कलह के बाद संस्था की रौनक समाप्त हो गयी. सैकड़ों कर्मी व रोगी बेघर हो गये. तभी से संस्था देवघर उपायुक्त के सुपूर्द है. आलम यह है कि संस्था के बंद होने के बाद अबतक प्रशासनिक स्तर पर भी वर्षगांठ नहीं मनायी जाती. जबकि सैकड़ों फलदार आम के पेड़ों से लाखों रुपये की आय अर्जित होती है. महज औपचारिकता के तौर पर स्थानीय लोग मेले का आयोजन करते हैं और सालभर ठक्कर बप्पा की प्रतिमा धूल फांकती नजर आती है, लेकिन इस संस्था की हालत को देख देखकर आज भी संस्था के संस्थापक ठक्कर बप्पा की आत्मा भी दुर्दशा पर कही रो रही होगी. बता दें कि इस वर्ष ठक्कर बप्पा युवा क्लब के सदस्यों ने 29 नवंबर को कार्यक्रम करने की घोषणा की है.