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एमओयू के बाद भी फलॉवर लिंक कंपनी ने नहीं दिया हिसाब

जामताड़ा : जामताड़ा में फूलों की खेती की बेहतर बाजार मिले, किसान स्वरोजगार से जुड़े इसी को लेकर कृषि-विभाग ने महाराष्ट्र की कंपनी फलॉवर लिंक के साथ एमओ यू किया. एमओयू वर्ष 2011-12 में तीन वर्ष के लिए किया गया था. इसके तहत कंपनी ने जामताड़ा के प्लांट रिसोर्स सेंटर में फूलों की खेती की […]

जामताड़ा : जामताड़ा में फूलों की खेती की बेहतर बाजार मिले, किसान स्वरोजगार से जुड़े इसी को लेकर कृषि-विभाग ने महाराष्ट्र की कंपनी फलॉवर लिंक के साथ एमओ यू किया. एमओयू वर्ष 2011-12 में तीन वर्ष के लिए किया गया था. इसके तहत कंपनी ने जामताड़ा के प्लांट रिसोर्स सेंटर में फूलों की खेती की शुरुआत की.

साथ ही क्षेत्र के किसानों को प्रशिक्षण भी दिया. इस दरमयान झारखंड सरकार ने कंपनी को दो बार आवंटन भी उपलब्ध कराया गया. पहली बार 12 लाख का आवंटन मिला तो दूसरी बार 6 लाख 41 हजार रुपये का आंवटन दिया गया. दो वर्ष तक लगभग कंपनी ने फूलों की खेती को अच्छे करना शुरु किया और किसानों को भी प्रशिक्षण दिया. कुछ किसान भी प्रशिक्षण अच्छा से लेकर आत्म-निर्भर बनने के लिए फूलों की खेती करने का मन बनाया, लेकिन इतने महंगें फूल का बाजार जामताड़ा में नहीं मिला. मजबूरन किसानों ने इन फूलों की खेती करना ही छोड़ दिया. कंपनी महाराष्ट्र की सांगलिक की थी,

जो कीनीया से बीज लाकर जरबेरा, कारनेशन फूल की खेती करना शुरू किया. इन कीमती फूलों का मार्केट जामताड़ा जैसी छोटी जगह में उपलब्ध नहीं हो पाया. फलॉवर लिंक कंपनी ने जामताड़ा कार्यालय को एक बार भी फूल के उत्पादन का लेखा-जोखा का हिसाब नहीं दिया. वित्तीय वर्ष 2014-15,15-16 तथा 16-17 में नहीं दिया, शून्य दर्शाया गया है हिसाब. कंपनी की इस गतिविधि की सूचना जिला उद्यान विभाग के निदेशक को भेजी गयी.

सरकार के उद्देश्य पर पानी फिरा
सरकार का खास मकसद था कि किसान फूलों की खेती कर आत्म-निर्भर बनें. किसान अपनी परती जमीन में फूलों की खेती कर स्वाबलंबी बने.इसी के तहत माराष्ट्र की कंपनी फलॉवर लिंक के साथ एमओयू किया था.
क्या कहते हैं उद्यान पदाधिकारी
उद्यान पदाधिकारी सामसुद्दीन अंसारी ने कहा कि कीमती फूल होने के कारण जामताड़ा में मार्केट नहीं मिला.साथ ही कंपनी ने फूलों के उत्पादन का लेखा-जोखा का हिसाब नहीं दिया है. निदेशक को सूचना भेजी गयी है.

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