जामताड़ा प्रखंड के जुरगुडीह सहित अन्य गांवों में चलता है कारोबार
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धड़ल्ले से हो चल रहा कोयला का अवैध कारोबार
जामताड़ा प्रखंड के जुरगुडीह सहित अन्य गांवों में चलता है कारोबार बिंदापाथर थाना क्षेत्र के सोरानपाड़ा में भी कोयला का धंधा जारी चितरा कोलियरी को प्रति वर्ष होता है करोड़ों का नुकसान जामताड़ा : जिले में इन दिनों कोयला का अवैध कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है. सूत्रों के अनुसार जामताड़ा थाना क्षेत्र के थाना […]
बिंदापाथर थाना क्षेत्र के सोरानपाड़ा में भी कोयला का धंधा जारी
चितरा कोलियरी को प्रति वर्ष होता है करोड़ों का नुकसान
जामताड़ा : जिले में इन दिनों कोयला का अवैध कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है. सूत्रों के अनुसार जामताड़ा थाना क्षेत्र के थाना जुरगुडीह कोक फैक्टरी में अवैध कोयला खपाया जा रहा है. यहां धनबाद जिला से बराकर नदी नौका से पार किया जाता है तथा जुरगुडीह, गांव स्थित कोक फैक्टरी में भारी मात्रा में कोयला लाया जाता है. कोयला माफियाओं द्वारा यहां कोक कोयला बनाकर अन्य क्षेत्रों में भेजा जा रहा है. सूत्रों के अनुसार कोयला को झारखंड के अलावा बिहार के जरिये अन्य प्रदेशों में भे जाता है. इससे सरकार को लाखों रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है.
कई स्थानों में कोक फैक्टरी में बनता है कोक कोयला : जिला के नाला थाना क्षेत्र के आधा दर्जन स्थानों में अवैध कोयला का कारोबार फिर से फलने फूलने लगा है. हाल ही के दिनों में भाजपा कार्यकर्ता द्वारा भी कोयला का ट्रक पकड़ कर पुलिस के हवाले किया गया था. स्थानीय पुलिस को भी दबाव पड़ने पर कभी कभार सामान्य कार्रवाई कर खानापूर्ति करती रहती है. जिस कारण नाला क्षेत्र में अवैध कोयला का कारोबार सालों भर चलता रहता है. साथ ही बिंदापाथर थाना क्षेत्र के सोरानपाड़ा में भी धड़ल्ले से कोयला का अवैध कारोबार जारी है.
चितरा से जामताड़ा साइडिंग जाने वाले डंपरों में माफिया की रहती है नजर
चितरा कोलयरी से जामताड़ा रेलवे साइडिंग तक करीब 250 डंपरों से कोयला लाया जाता है. इस कोयला लदे डंपरों पर माफियाओं द्वारा नजर बना रहता है. पुलिस के सांठ-गांठ के साथ माफियाओं द्वारा डंपरों से कोयला उतार कर डंप किया जाता है तथा विभिन्न क्षेत्रों में पिकअप वैन द्वारा खपाया जाता है. सूत्रों के अनुसार जामताड़ा रेलवे साइडिंग से आधी रात से ही कोयला का चोरी करने में लोग लग जाते हैं. जो अहले सुबह तक चलता है. यह धंधा आज भी काफी बदस्तूर से चल रहा है. डंपरों से कोयला उतारे जाने चितरा कोलयरी को प्रति वर्ष करोड़ों का नुकसान सहना पड़ रहा है. वहीं कोयला माफिया की चांदी काट रही है.
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