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धड़ल्ले से चल रहा काले हीरे का काला धंधा
पालोजोरी/जामताड़ा : सरकार ने तल्ख तेवर अपनाते हुए कहा था कि जिस जिले में कोयला चोरी का मामला सामने आयेगा वहां के एसपी उसके जिम्मेवार होंगे. फिर भी कोयला चोर सरकार की बातों को दरकिनार कर व पुलिस की आंखों में धूल झाेंक कर अपना काम निकाल रहे हैं. देवघर जिले में चितरा कोलियरी प्रबंधन […]
पालोजोरी/जामताड़ा : सरकार ने तल्ख तेवर अपनाते हुए कहा था कि जिस जिले में कोयला चोरी का मामला सामने आयेगा वहां के एसपी उसके जिम्मेवार होंगे. फिर भी कोयला चोर सरकार की बातों को दरकिनार कर व पुलिस की आंखों में धूल झाेंक कर अपना काम निकाल रहे हैं.
देवघर जिले में चितरा कोलियरी प्रबंधन व पुलिस भले ही दावा करे कि उनके इलाके में कोयला चोरी नहीं हो रही, बस्ती पालोजोरी में जो चोरी की तसवीर सामने आयी है वह उनके दावों को खोखला साबित कर रही है. यहां दिनदहाड़े कोयला चोरी की जा रही है. बस्ती पालोजोरी शुरू से इसके लिए सेफ जोन माना जाता है. यहां चितरा कोलियरी से जामताड़ा साइडिंग तक काेयला लाद कर ले जाने वाले डंपरों से रोजाना सैकड़ों टन कोयला उतारा जाता है.
इसमें डंपर चालक, पुलिस व सफेदपोशों की पूरी मिली भगत होती है. यहां से उतारा गया कोयला पास के झाड़ियों व झुरमुटों की आड़ में डंप किया जाता है और फिर मोटरसाइकिल, साइकिल व अन्य वाहनों में लोड कर इसे अवैध ढंग से अन्यत्र भेजा जाता है. आसपास के ईंट भट्ठों में भी यह कोयला खपाया जाता है.
कहते हैं थाना प्रभारी
पुलिस कोयला चोरी रोेकने के लिए लगातार गश्ती करती है. उनके द्वारा कोयला चोरी पर लगाम लगाया गया है. बावजूद इसके अगर चोरी छिपे ताक लगाकर कुछ डंपर द्वारा कोयला उतार लिया जाता है. इस संबंध में विशेष कुछ नहीं कर सकते हैं.
पुनीत उरांव, चितरा थाना प्रभारी
कोयला चोरी के संबंध में पूछे जाने पर कोलियरी एजेंट ने बताया कि चितरा से जामताड़ा साइडिंग तक कोयला भेजने के क्रम में स्थानीय पुलिस द्वारा डंपर का स्कॉट किया जाता है. चोरी के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है.
कोयला चोरी रोकने की जिम्मेदारी मुख्य रूप से ट्रांसपोर्टर की है. राष्ट्रीय संपत्ति की चोरी ना हो इसलिए गश्ती कर पालोजोरी व चितरा पुलिस, सीआइएसएफ द्वारा कोयला पहुंचाया जाता है.
बीके सिंह, उपमहाप्रबंधक
वजन में भी हेरफेर
बीच रास्ते से ही कई टन कोयला चोरी के बाद भी जामताड़ा साइडिंग में वजन बराबर रहना चौंकाने वाली बात है. लेकिन इसके पीछे भी एक बड़ा खेल होता है. वजन सही रखने के लिए कोयले में पानी, पत्थर व मिट्टी मिलाया जाता है. पानी डालने के लिए कई स्थानों पर पंपिंग सेट भी लगाया गया है. जो वजन बरकरार रखने में काम लिया जाता है.
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