27.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

स्थानीय आदिवासियों को मिले बालूघाट बंदोबस्ती

दुमका : झारखंड विकास मोरचा के केंद्रीय कार्यसमिति सदस्य डॉ अनिल मुमरू ने पाकुड़ जिले में बालूघाट की बंदोबस्ती को लेकर आपत्ति जतायी है तथा प्रमंडलीय आयुक्त को एक पत्र लिखकर स्थानीय आदिवासियों के हित में ही बालूघाट की नीलामी करने का अनुरोध किया है. डॉ अनिल ने कहा है कि पाकुड़ में 7 अक्तूबर […]

दुमका : झारखंड विकास मोरचा के केंद्रीय कार्यसमिति सदस्य डॉ अनिल मुमरू ने पाकुड़ जिले में बालूघाट की बंदोबस्ती को लेकर आपत्ति जतायी है तथा प्रमंडलीय आयुक्त को एक पत्र लिखकर स्थानीय आदिवासियों के हित में ही बालूघाट की नीलामी करने का अनुरोध किया है.

डॉ अनिल ने कहा है कि पाकुड़ में 7 अक्तूबर को जिन 24 बालू घाटों की बंदोबस्ती हुई है, वे सभी मुंबई की कंपनी को बंदोबस्त की गयी है. उन्होंने कहा कि पहली बार ऐसा हुआ कि बालूघाट की बंदोबस्ती में बाहरी कंपनी ने हिस्सा लिया था. बकौल डॉ अनिल इस बंदोबस्ती से 50 प्रतिशत अधिक राशि बालूघाट की नीलामी से अवश्य प्राप्त होगी, पर स्थानीय लोगों का आर्थिक शोषण भी होगा.

उनके मुताबिक पाकुड़ आदिवासी बहुल क्षेत्र है. इससे यहां के स्थानीय लोगों का ठेकेदारों द्वारा शोषण किया जायेगा.

आयोग के प्रावधानों की हुई अनदेखी

बकौल डॉ अनिल मुमरू राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग भारत सरकार ने अपने पत्र 369/2011 के द्वारा तत्कालीन मुख्यमंत्री को राज्य के अनसूचित क्षेत्र के सभी जिलों में झारखंड लघु खनिज समनुदान नियमावली 2011 के नियम 12 (2) के अपवाद के अनुसार अनुसूचित जनजाति सहकारिता सहयोग समिति के लिए विशिष्ट प्रावधान किया जाना है.

किंतु पाकुड़ जिले में इस नियम की अनदेखी की गयी है. उन्होंने कहा कि पांचवी अनुसूची वाले राज्य में अनुसूचित जनजातियों की उपेक्षा बर्दाश्त नहीं की जायेगी.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें