प्रतिदिन कोर्ट रोड के रास्ते पश्चिम बंगाल पहुंचता है सफेद पत्थर
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नारायणपुर व जामताड़ा में सफेद पत्थर माफियाओं की बल्ले-बल्ले
प्रतिदिन कोर्ट रोड के रास्ते पश्चिम बंगाल पहुंचता है सफेद पत्थर पत्थर लोडेड ट्रक के पीछे-पीछे बाइक से चलता है माफिया दीपक झा जामताड़ा : व नारायणपुर थाना क्षेत्र में इन दिनों सफेद पत्थर का अवैध उत्खनन करने वाले माफिया का राज चल रहा है. प्रभात खबर की टीम ने गुरुवार को नारायणपुर थाना क्षेत्र […]
पत्थर लोडेड ट्रक के पीछे-पीछे बाइक से चलता है माफिया
दीपक झा
जामताड़ा : व नारायणपुर थाना क्षेत्र में इन दिनों सफेद पत्थर का अवैध उत्खनन करने वाले माफिया का राज चल रहा है. प्रभात खबर की टीम ने गुरुवार को नारायणपुर थाना क्षेत्र के मोचियाडीह एवं लोकनियां गांव के अलावे जामताड़ा थाना क्षेत्र के वीरगांव तथा फूलजोरी में हो रहे सफेद पत्थर उत्खनन का जायजा लिया. सर्वप्रथम टीम ने नारायणपुर के मोचियाडीह व लोकनियां गांव में अवैध पत्थर के कारोबार की पड़ताल की. देखा कि सड़क किनारे एवं जंगल झाड़ में जमीन खोद कर सफेद पत्थर निकाले जा रहे हैं. माफिया भोले-भाले ग्रामीणों को कुछ रुपयों का प्रलोभन देकर कारोबार में झोंक रहे हैं.
वहीं क्रम में जब टीम जामताड़ा के वीरगांव व फूलजोरी पहुंची वहां भी स्थिति इससे इतर नहीं थी. फूलजोरी के जंगल में कई जगह जमीन खोद कर सफेद पत्थर निकाल कर डंप किया किया जा रहा था. जबकि वीरगांव में बाल मजदूरों से काम लिया जा रहा था. बाल मजदूर गड्ढा खोद कर सफेद पत्थर निकाल कर इकट्ठा कर रहे थे.
दोपहर 2.45 से 3 बजे के करीब कोर्ट रोड होकर गुजरता है पत्थर लदा ट्रक
प्रभात खबर की टीम ने गुरुवार को दिन भर पत्थर के अवैध खेल पर नजर बना कर रखी. इसी बीच मोचियाडीह-नारायणपुर से सफेद पत्थर लदा ट्रक जामताड़ा कोर्ट मोड़ पहुंचा. टीम ट्रक का पीछा कर रही थी. ट्रक कोर्ट रोड जामताड़ा थाना होकर मिहिजाम के रास्ते पश्चिम बंगाल की ओर बेधड़क गुजर गया. सबसे बड़ी बात यह है कि जब ट्रक इन रास्तों से होकर गुजर रहा था तो ट्रक के ठीक पीछे-पीछे काले रंग की बाइक पर सवार पत्थर माफिया भी चल रहा था. जो ट्रक पर नजर बनाये हुए था. माफिया ने प्रभात टीम को ट्रक की तस्वीर लेने का विरोध भी किया. मगर इस बीच विडंबना देखिए ट्रक के बारे में ना ही पुलिस प्रशासन को कोई भनक थी ना ही किसी ने इसे रोकने की कोशिश ही की.
सौ से डेढ़ सौ रुपये मिलती है मजदूरी
इस देश की विडंबना ही है कि जहां तमाम तरह की योजनाएं गांव में चलाने का सरकार दावा करती है. वहीं फूलजोरी, वीरगांव, मोचियाडीह व लोकनियां जैसे गांव अपवाद बन गया है. रोजगार की स्थिति यहां ऐसी है कि ग्रामीण अपना श्रम सस्ते में बेचने को विवश है. इस परिस्थिति का लाभ लेकर माफिया एक सौ से डेढ़ सौ रुपये देकर यहां की महिलाओं को बच्चों को अवैध कारोबार में झोंक रहा है और अपनी गोटी लाल कर रहा है.
जाने क्या है सफेद पत्थर
सफेद पत्थर उस श्रेणी में आता है जो काफी कम ताप पर ठोस हो जाता है. धरती के नीचे हर तत्व तरल रूप में रहता है. जब किसी कारण से ये मैग्मा रूपी तरल बाहर निकलता है तब वह जमने लगता है. काला पत्थर सबसे अधिक ताप में जमता है. जबकि सफेद कुछ कम पर पनपता है. जिस कारण ये आसानी से नहीं मिलता. कम ताप में ठोस होने की प्रकृति के कारण यह काला पत्थर के बीच में जम जाता है. इस पत्थर में कमाल की चमक होती है. यहीं वजह है कि इसे उपरत्न की श्रेणी में रखा जाता है.
डंप कर खपाते हैं पत्थर
माफिया सबसे पहले जमीन खोद कर पत्थर निकालते हैं और उसे उसी इलाके में सुरक्षित स्थान पर डंप करते हैं. काफी मात्रा में पत्थर जमा होने के बाद उसे ट्रक या फिर पिकअप वाहन से बंगाल ले जाते हैं और हजारों रुपये में बेच देते हैं. सूत्रों की मानें तो ज्यादातर मामलों में पत्थर को ट्रक के माध्यम से सीमा तक ले जाते हैं. इसके बाद बिहार सहित दूसरे प्रदेशों के अलावा नेपाल, बांग्लादेश, भूटान के अलावा एशिया के अन्य देशों में भी इसे भेजा जाता है.
सफेद पत्थर का उपयोग
जानकार के माने तो सफेद पत्थर बहुत कीमती होता है. सफेद पत्थर से फैंसी कप, प्लेट के अलावे बड़े-बड़े कारखानाें में फर्श और अन्य कीमती चीजों के लिये इसका उपयोग किया जाता है.
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