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डोभा के पानी से प्यास मिटा रहे दमुवाडीह के लोग

महिलाएं प्रतिदिन सुबह-शाम गांव से आधा किमी दूर पहाड़ी के तलहटी में डोभा में पानी भरने जातीं हैं नारायणपुर : एक तरफ सबका साथ, सबके विकास की बात हो रही है तो दूसरी और ग्रामीण डोभा का पानी पीने को विवश हैं. सरकार गांव में विकास की बात कर रही है. हर गांव में मनरेगा […]

महिलाएं प्रतिदिन सुबह-शाम गांव से आधा किमी दूर पहाड़ी के तलहटी में डोभा में पानी भरने जातीं हैं

नारायणपुर : एक तरफ सबका साथ, सबके विकास की बात हो रही है तो दूसरी और ग्रामीण डोभा का पानी पीने को विवश हैं. सरकार गांव में विकास की बात कर रही है. हर गांव में मनरेगा के तहत तालाब बनवाये जा रहे हैं. लेकिन नारायणपुर प्रखंड में एक ऐसा गांव है, जो ग्रामीण विकास से वंचित तो हैं ही उपर से डोभा का पानी पीने को विवश हैं.
ग्रामीण किसी प्रकार तो अपनी प्यास डोभा के पानी से बुझाते हैं, लेकिन मवेशी को पानी के लिए भटकना पड़ता है. नारायणपुर के आदिवासी बहुल गांव पहाड़पुर के दमुवाडीह टोला में आदिवासी के 15 परिवार रहते हैं. गांव में एक चापाकल है, जो लगभग छह माह से खराब है. गांव के लोग कई बार इसकी शिकायत विभाग के साथ-साथ स्थानीय जन प्रतिनिधि को भी की, लेकिन कोई फायदा नहीं मिला. गांव की महिलाएं प्रतिदिन सुबह-शाम गांव से आधा किमी दूर पहाड़ी के तलहटी में डोभा में पानी भरने जाना पड़ता है. गांव की महिलाएं इतनी तकलीफ से पानी लाती है, लेकिन इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है.
इधर देश में स्वच्छता अभियान चलाया जा रहा है. हाथ धुलाई कार्यक्रम चलाया जा रहा है, लेकिन इस गांव में स्वच्छता कार्यक्रम क्यों नहीं चलायी जा रही है. इससे ग्रामीण भी अनजान है.
गांव के लोग इसकी शिकायत विभाग के साथ-साथ स्थानीय जन प्रतिनिधि को भी की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ
कहते हैं ग्रामीण
गांव में पेयजल की व्यवस्था नहीं रहने के कारण हमलोगों को जोरिया के डोभा का गंदा पानी पीना पड़ता है. एक चापाकल है, जो कई माह से खराब है.
– कालू मरांडी, ग्रामीण
गांव में पेयजल कुआ एवं चापाकल नहीं रहने के कारण खाई नुमा जोरिया के डोभा में नहाने के लिए जाना पड़ता है तथा पीने के पानी की व्यवस्था भी वहीं से करना पड़ता है. -रूपलाल
हमलोग अपने लिए जोरिया के डोभा से पेयजल की व्यवस्था कर लेते हैं. मवेशियों के लिए पानी की व्यवस्था करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.- लोबिन मरांडी
कहते हैं पदाधिकारी
समस्या की जानकारी मिलने के बाद 4 मार्च को मैं खुद जाकर देखा हूं. टोला में एक चापाकल है, जिसकी मरम्मत एक दिन के अंदर करवा रहे हैं तथा एक अतिरिक्त चापाकल लगाने के लिए जिला को रिपोर्ट भेजी गयी हैं.
– जहीर आलम, बीडीओ
कहते हैं मुखिया
गांव में एक चापाकल है. वो भी खराब हो गया है. गांव के लोग बराबर नदी का पानी पीता है. नल को ठीक करवाया जायेगा.
-बालेश्वर हेम्ब्रम, मुखिया
वर्षों पहले जिला परिषद द्वारा एक चापाकल का बोरिंग करवाया गया था. लेकिन उसमें पानी नहीं निकलने के कारण हमलोगों को जोरिया के डोभा का पानी पीना पड़ता है. खास कर बरसात के दिनों में यह समस्या काफी भयानक हो जाती है.
– नंदलाल मरांडी
गांव में पेयजल की व्यवस्था नहीं रहने के कारण हमलोगों को जोरिया के डोभा का गंदा पानी पीना पड़ता है. एक चापाकल है, जो कई माह से खराब है.
– कालू मरांडी, ग्रामीण
गांव में पेयजल कुआ एवं चापाकल नहीं रहने के कारण खाई नुमा जोरिया के डोभा में नहाने के लिए जाना पड़ता है तथा पीने के पानी की व्यवस्था भी वहीं से करना पड़ता है. -रूपलाल
हमलोग अपने लिए जोरिया के डोभा से पेयजल की व्यवस्था कर लेते हैं. मवेशियों के लिए पानी की व्यवस्था करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.- लोबिन मरांडी

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