जामताड़ा : एक व दो रुपये के सिक्कोें के नहीं चलने की अफवाह धीरे-धीरे छोटी दुकानदारी व बड़े व्यवसाय से लेकर आम लोगों की रोजी-रोटी चलाने में भी मुसीबत बन रही है. लोग कमाई करने के बाद भी खर्च कर पाने की स्थिति में नहीं हैं. चाय-पान की दुकान और ठेले-खोमचे लगाने वालों के पास कई हजार के सिक्के जमा हो गए हैं, जबकि मझोले व बड़े व्यवसायियों के पास हजारों से लेकर लाखों रुपये मूल्य तक के सिक्के जमा हैं. उधर, बैंकों का अपना रोना है.
एक-एक शाखा में 10 से 40 लाख तक के सिक्के जमा हैं. विकराल होती जा रही इस समस्या से निजात दिलाने के लिए अब केंद्र सरकार की ओर से बड़ा कदम उठाने की जरूरत है. इन दिनों जामताड़ा में भी सिक्के के आदान-प्रदान को लेकर बड़ी परेशानी है. कई चाय-पान की दुकानों से लेकर शहर के बड़े व्यवसायी तक सिक्के लेने से मना कर देते हैं. शहर के व्यवसायियों व बैंक अधिकारियों ने परेशानियों के विषय में बताया. सबने कहा कि सिक्के नहीं चलने की अफवाह से व्यवसायी से लेकर ग्राहक और बैंकों तक की समस्याएं बढ़ गयी हैं.
सिक्के के बोझ से दबे हैं कई बैंक
जिले के दर्जनों ऐसी बैंक शाखाएं हैं, जिनके पास सिक्के से वोल्ट भर गया है. महीनों दिन से खाली नहीं हो रहा है. कई बैंक प्रबंधक ने कहा कि शाखा में सिक्के जमा होने को लेकर एसबीआइ मेन ब्रांच को सिक्के लेने का आग्रह किया गया, लेकिन बैंक में स्टाफ की संख्या कम रहने का हवाला देकर कहा कि सिक्कों की गिनती कौन करेगा. जिससे बैंक को भी दिक्कतें आ रही हैं.
वहीं छोटे व्यवसायी को सबसे अधिक परेशानी हो रही है. छोटे व्यवसायी जब बड़े व्यावसायी को सिक्के देते हैं, तो वे सिक्का लेने के एवज में कमीशन काटने की बात करते हैं. जिससे छोटे व्यवसायी सिक्के देने से इंकार कर जाते हैं. उनकी दुकान की पूंजी सिक्के में ही सिमट कर रह जाती है. वहीं आम लोगों को सिक्के लेकर हाट बाजार जाना काफी मुसीबत बन गयी है.
जिले में सिक्कों को लेकर बनी समस्या को दूर करने के लिए जिलास्तर पर बैठक कर निदान किया जायेगा, ताकि सिक्के को लेकर आम जनों के साथ छोटे-बड़े व्यावसायी को परेशानी न हो.
– रमेश कुमार दुबे, उपायुक्त,
सभी बैंक को पत्र निर्गत किया जा चुका है. ग्राहक को भी सिक्के स्वीकार करना होगा. बैंक से यदि दस हजार रुपये ग्राहक द्वारा राशि की निकासी करते हैं तो एक हजार रुपये का सिक्का स्वीकार करना अनिवार्य है.
– एस एस पाठक, एलडीएम, जामताड़ा
क्या है सजा का है प्रावधान
नियमानुसार देश में रहकर मुद्रा का बहिष्कार करना कानूनन अपराध है. इसमें सजा का भी प्रावधान है. मुद्रा का बहिष्कार करने वाले को जेल के अलावा अर्थदंड का भी प्रावधान है. वहीं बैंकों के लिए बैंक सिक्का लेने से मना करते हैं तो बैंकिंग लोकपाल योजना 2006 के प्रावधानों के तहत कार्रवाई के भागी हो सकते हैं.
व्यवसायियों ने कहा : प्रचार-प्रसार कर जागरूक करने की है जरूरत
शहर में सिक्का नहीं चलने से ग्राहक से सिक्का लेने के बाद फंस जाते हैं. बड़े व्यवसायी और बैंक भी सिक्का लेने से परहेज करते हैं. जिससे छोटे व्यवसायी को काफी परेशानी हो रही है.
– विजय भगत, व्यवसायी
सिक्का नहीं चलने से बाजार में छोटा-छोटा सामग्री लेने में काफी दिक्कतें आ रही है. सिक्का नहीं चलने की बात पर प्रशासन को शीघ्र ही पहल करनी चाहिए. छोटे दुकानदार तो साफ लेने से इनकार कर देते हैं.
– अरविंद कुमार, शहरवासी
आम लोगों के लिए मुसीबत हो गया है. प्रशासन द्वारा भी किसी प्रकार का पहल नहीं की जा रही है. प्रशासन स्तर से सिक्का नहीं चलने की गलत अफवाह पर प्रचार-प्रसार करने की जरूरत है.
– प्रमोद कुमार यादव, शहरवासी