जमशेदपुर : सिविल सर्जन ऑफिस में हर सोमवार को मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी योजना को लेकर बैठक होती है. इसमें असाध्य रोगों से ग्रसित मरीजों की जांच कर उन्हें योजना के तहत इलाज के लिए मदद दी जाती है. लेकिन सिविल सर्जन कार्यालय को विगत छह माह से फंड नहीं मिलने के कारण मरीजों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है.
सिविल सर्जन ऑफिस के कर्मचारियों ने बताया कि इस मद में छह माह से कोई फंड नहीं मिला है. सिविल सर्जन ने इसके लिए सरकार को कई बार लिखा भी, लेकिन उस पर अबतक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है. फंड नहीं होने के कारण सिविल सर्जन ऑफिस से भेजे गये मरीजों को वहां से लौटा दिया जाता है.
अस्पताल मांग रहे हैं चेक नंबर
असाध्य रोगों से ग्रस्त मरीजों ने बताया कि सिविल सर्जन ऑफिस से पास होने के बाद इलाज के लिए अस्पताल पहुंचने पर वहां उनसे चेक नंबर मांगा जाता है. जबकि चेक नंबर नहीं दिये जाने पर अस्पताल उन्हें बिना इलाज किये लौटा दिया जा रहा है.
इस संबंध में सिविल सर्जन डॉ एसके झा ने बताया कि फंड के लिए सरकार को कई बार लिखा गया है. लेकिन इस पर आज तक कोई सुनवाई नहीं हुई. फंड नहीं मिलने से हम कुछ नहीं कर पा रहे हैं.
कई अस्पतालों का लाखों बकाया
सीएस कार्यालय कर्मियों ने बताया कि शहर सहित बाहर के अन्य अस्पतालों के इस मद के लाखों रुपये बाकी हैं, जिन्हें फंड के अभाव में भुगतान नहीं हो पा रहा है. इस स्थिति के कारण अस्पतालों ने इलाज करना बंद कर दिया है. इस स्थिति से गुस्साये मरीजों के परिजन कार्यालय आकर हंगामा भी करते हैं.
देश के 54 अस्पतालों में मिलती है सुविधा
पूरे देश में मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी उपचार योजना के तहत 54 अस्पतालों में इलाज किया जाता है. इनमें शहर के छह अस्पताल शामिल हैं. उन सभी अस्पतालों में असाध्य रोगों से ग्रस्त मरीजों का इलाज किया जाता है.