जमशेदपुर: टाटानगर में स्वास्थ्य सेवाओं की एक कड़वी हकीकत व स्याह सच्चई पेश करता है रेलवे अस्पताल. रेलवे स्टेशन के चार किलोमीटर की परिधि में पांच रेलवे कालोनियों के नौ हजार रेलकर्मी, सैकड़ों रेलयात्रियों को आपात स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने वाले अस्पताल मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के मानकों पर कितना खरा उतरता है यह भी देखने वाली बात है.
स्वास्थ्य सेवाओं की कमान यहां स्वीकृत 22 डॉक्टरों के स्थान पर मात्र पांच पर है. इस लिहाज से नौ हजार से अधिक रेलकर्मियों वाले इस अस्पताल में एक डॉक्टर पर 1800 रेलकर्मियों के स्वास्थ्य की बड़ी जिम्मेवारी है.स्वास्थ्य के मोर्चे पर परेशान रेलकर्मियों की आस शुक्रवार को टाटानगर पहुंच रहे दक्षिण पूर्व रेलवे के चीफ मेडिकल डॉयरेक्टर अरविंद रे पर टिकी हुई है. डॉ रे टाटानगर रेलवे अस्पताल का भी निरीक्षण करेंगे. हावड़ा-अहमदाबाद एक्सप्रेस से टाटानगर पहुंच रहे डॉ रे चक्रधरपुर भी जायेंगे. यहां रेलवे अस्पताल में शुल्क बढ़ोतरी व उपलब्ध सेवाओं की स्थिति से भी उन्हें जनप्रतिनिधि अवगत करा सकते है.
व्यवस्था ऐसी की बीमार हो जाये लोग:अस्पताल के जनरल वार्ड के मरीजों का इलाज दूसरे वार्ड में बेड लगाकर किया जा रहा. रूटीन जांच के लिए भी मरीजों को डॉक्टर नहीं मिलते. विशेषज्ञ चिकित्सकों की समयबद्ध तैनाती नहीं है. लिहाजा रेलकर्मियों को टाटा मोटर्स पर निर्भर होना पड़ता है. साफ-सफाई, दवा, रखरखाव का हाल ऐसा की आम लोग भी संक्रमण का शिकार होकर बीमार हो जाये.
दवा की कमी पर होता रहता है हंगामा :अस्पताल में सामान्य दवाएं, लाइव सेविंग ड्रग की कमी को लेकर कई बार रेलकर्मी हंगामा कर चुके है. इसी तरह सेवानिवृत होने वाले रेलकर्मी और उनके परिजनों का नियमित स्वास्थ्य जांच और मधुमेह, उच्च रक्तचाप, निम्न रक्तचाप, हृदय रोगी, कैंसर आदि की दवा नहीं मिलने से लिखित रूप से रेल जीएम, रेलवे बोर्ड तक को अवगत कराया है.
खटारा एंबुलेंस तोड़ देता है आस : रेलवे अस्पताल का एकमात्र जजर्रहाल एंबुलेंस की स्थिति अपने आप ही सब कुछ बयां कर जाती है. टूटी खिड़कियां, क्षतिग्रस्त सीट, जजर्र स्ट्रैचर, जीवन रक्षक उपकरणों की कमी बीमार मरीज का आस तोड़ने के लिए काफी है. आपात स्थिति में पहुंचे मरीजों के परिजनों की जान टाटा मोटर्स अस्पताल पहुंचने तक सांसत में ही रहता है.