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आदिवासियों के सुरक्षा कवच में छेद की कोशिश

जमशेदपुर. झारखंड सरकार आदिवासी खेतीहर समाज की जमीन छीनने का उपाय ढूंढ़ रही है. इसी उद्देश्य से सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन का प्रयास कर रही है. यह कदम आदिवासी विरोधी है. उक्त बातें जेएनयू नयी दिल्ली के रिटायर्ड प्रोफेसर डाॅ. वीर भारत तलवार ने निर्मल गेस्ट हाउस में ‘प्रभात खबर’ से बातचीत कर कही. उन्होंने […]

जमशेदपुर. झारखंड सरकार आदिवासी खेतीहर समाज की जमीन छीनने का उपाय ढूंढ़ रही है. इसी उद्देश्य से सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन का प्रयास कर रही है. यह कदम आदिवासी विरोधी है. उक्त बातें जेएनयू नयी दिल्ली के रिटायर्ड प्रोफेसर डाॅ. वीर भारत तलवार ने निर्मल गेस्ट हाउस में ‘प्रभात खबर’ से बातचीत कर कही. उन्होंने कहा कि सीएनटी-एसपीटी एक्ट क्यों और किनके लिये बना, सरकार को यह जानने का प्रयास करना चाहिए था. इस एक्ट का सख्ती के पालन करने की दिशा में कदम नहीं उठाया गया लेकिन एक ही झटके में इसमें संशोधन की सोच ली. संशोधन के जरिये आदिवासियों के सुरक्षा कवच को छेद करने की कोशिश हो रही है.
उन्होंने कहा कि आदिवासी-मूलवासी के हित में इतने सख्त संवैधानिक अधिकार के रहते जमीन की लूट हुई है. सरकार ने कभी लूटी हुई जमीन को वापस करने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया. पहले हड़पी गयी जमीन को वापस दिलाने के बारे में सोचना चाहिए.
कृषि-उद्योग के बीच संतुलन बनाये रखने की जरूरत : डॉ वीर भारत तलवार ने कहा कि वर्तमान समय में कृषि और उद्योग के बीच संतुलन बनाये रखने की जरूरत है. केवल उद्योग को बढ़ावा देना भी विनाश का कारण साबित हो रहा है. सरकार को यह भी जानने की जरूरत है कि यहां रहने वाले लोगों की मुख्य जीविका कृषि है. इसलिए कृषि आधारित विकास पर भी ध्यान देने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार का कैशलेस स्कीम बिना सोच समझे उठाया गया कदम है. इससे 98 प्रतिशत लोग परेशान हैं. कैशलेस का दूरगामी परिणाम क्या हो सकता है, इस संबंध में अर्थशास्त्रियों से सलाह मशविरा भी नहीं लिया गया था.

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