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दीक्षांत शिक्षा का अंत नहीं बल्कि आगाज: द्रौपदी मुर्मू
जमशेदपुर: आज आप डिग्री ग्रहण कर रहे हैं. यही केवल जीवन का उद्देश्य नहीं है. बल्कि, यह जीवन के कर्मक्षेत्र में प्रवेश का आरंभ है, जहां आपको अपनी क्षमता व प्रतिभा से पहचान स्थापित करनी है. उक्त बातें राज्यपाल सह कुलाधिपति द्रौपदी मुर्मू ने कहीं. वह सोमवार को कोल्हान विश्वविद्यालय के द्वितीय दीक्षांत समारोह में […]
जमशेदपुर: आज आप डिग्री ग्रहण कर रहे हैं. यही केवल जीवन का उद्देश्य नहीं है. बल्कि, यह जीवन के कर्मक्षेत्र में प्रवेश का आरंभ है, जहां आपको अपनी क्षमता व प्रतिभा से पहचान स्थापित करनी है. उक्त बातें राज्यपाल सह कुलाधिपति द्रौपदी मुर्मू ने कहीं. वह सोमवार को कोल्हान विश्वविद्यालय के द्वितीय दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रही थीं.
उन्होंने कहा कि हमारे शिक्षण संस्थानों की यह कोशिश होनी चाहिए कि विद्यार्थियों का विकास एक सामाजिक, सुसंस्कृत व कुशल नागरिक के रूप में हो. वे नैतिक व चरित्रवान बनें. ऐसे नागरिक निश्चित रूप से देश और समाज के लिए अमूल्य संपदा होंगे. इन अर्थों में देखें, तो दीक्षांत समारोह शिक्षा का समापन नहीं, बल्कि एक आरंभ है. छात्र-छात्राओं का मार्ग दर्शन करते हुए कुलाधिपति ने कहा कि अपने कैरियर का चयन करें. इसमें सफलता के लिए अनुशासित जीवन अति आवश्यक है. कभी अपने-आपको कमजोर न समझें, हमेशा मजबूत इरादों के साथ लक्ष्य की ओर बढ़ें. अपनी प्रतिभा का ऐसा परचम लहरायें कि केवल विश्वविद्यालय ही नहीं, बल्कि पूरा राज्य व राष्ट्र आदर्श उदाहरण के रूप में प्रस्तुत करें. जिंदगी सिर्फ जीने के लिए नहीं, समाज को बढ़ाने के लिए भी है. अत: विद्यार्थी अपने सामाजिक दायित्वों को भी समझें. व्यक्तिगत के साथ सामाजिक विकास पर भी ध्यान दें.
नये शिक्षण संस्थान स्थापित होंगे : राज्यपाल ने कहा कि उच्च शिक्षा के विस्तारीकरण के लिए नये शिक्षण संस्थान स्थापित होंगे. शिक्षा से ही लोगों में जागृति आ सकती है. सामाजिक कुरीतियों का पूरी तरह अंत हो सकता है. अत: ज्ञान अर्जन में जाति, लिंग व वर्ग को कभी बाधक न बनने दें.
इनोवेटिव रिसर्च का केंद्र बन सकता है : कोल्हान विश्वविद्यालय में टीआरएल विभाग की चरचा करते हुए कुलाधिपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि आज हमें पहले से उपलब्ध ज्ञान के स्रोतों पर नये सिरे से विचार व खोज करने की जरूरत है. इस दृष्टि से कोल्हान विश्वविद्यालय जनजातीय ज्ञान-परंपरा में इनोवेटिव रिसर्च का केंद्र बन सकता है. यहां की विभिन्न जनजातीय भाषाओं में प्राकृतिक ज्ञान समाहित है. इन पर शोध के द्वारा विश्वविद्यालय उदाहरण प्रस्तुत कर सकता है.
डिजिटल व मेक इन इंडिया में विश्वविद्यालयों की भूमिका अहम : द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि डिजिटल इंडिया व मेक इन इंडिया के कांसेप्ट में विश्वविद्यालयों की भूमिका अहम होती है. ऐसे में ऑलाइन एनरॉलमेंट, रजिस्ट्रेशन, रिजल्ट आदि के माध्यम से कोल्हान विश्वविद्यालय ने सकारात्मक पहल की है.
मॉडल विश्वविद्यालय बने केयू : राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि यहां शिक्षा की ऐसी व्यवस्था हो कि राज्य ही नहीं, बल्कि पूरे देश में यह मॉडल विश्वविद्यालय के रूप में सम्मिलित हो. कोल्हान विश्वविद्यालय शिक्षा के आदर्शों को आत्मसात करते हुए आगे बढ़ रहा है. यहां जनजातीय भाषा विभाग समेत वोकेशनल व जॉब ओरिएंटेड कोर्स भी चलाये जाते हैं. इन सब में गुणवत्ता की आवश्यकता है. शिक्षक विद्यार्थियों को नये इनोवेटिक आइडिया के प्रति जागरूक करें.
बालिकाओं को उच्च शिक्षा के प्रति प्रेरित करें : श्रीमती मुर्मू ने कहा कि युवा उच्च शिक्षा ग्रहण करें, यह हमारा प्रयास है. पिछड़े वर्गों, अल्पसंख्यकों, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और विशेषकर बालिकाओं को उच्च शिक्षा के प्रति प्रेरित करने की जरूरत है.
विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास जरूरी : उन्होंने कहा कि ज्ञान व तकनीकी के दौर में विद्यार्थियों का तकनीकी ज्ञान जरूरी है. क्लास रूम में अर्जित ज्ञान की सार्थकता उसके सामाजिक एकरूपता में है.
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