जमशेदपुर:अंतरजातीय विवाह करने की इजाजत हो समाज कतई नहीं देता है. अंतरजातीय विवाह समाज की नींव को कमजोर बना रही है. युवाओं को इससे सचेत होने की जरूरत है. इस विवाह की राह में कांटे व दुख ही दुख है. खुशियां बिलकुल नहीं होती हैं. अपनी खुशी के लिए परिवार व समाज से बगावत करना […]
जमशेदपुर:अंतरजातीय विवाह करने की इजाजत हो समाज कतई नहीं देता है. अंतरजातीय विवाह समाज की नींव को कमजोर बना रही है. युवाओं को इससे सचेत होने की जरूरत है. इस विवाह की राह में कांटे व दुख ही दुख है. खुशियां बिलकुल नहीं होती हैं. अपनी खुशी के लिए परिवार व समाज से बगावत करना किसी भी दृष्टिकोण से उचित नहीं है. जिस समाज में हम जन्मे हैं उनको आगे बढ़ाना व बचाये रखना हमारा ही दायित्व है. इसलिए युवाओं को सामाजिक दायित्वों को अपने कंधे पर उठाने व बागडोर को हाथों में लेने की जरूरत है. आदिवासी हो समाज युवा महासभा के चौथे हो यूथ मीट में महासभा के केंद्रीय अध्यक्ष भूषण पाट पिंगुवा ने ये बातें कहीं.
वे सिदगोड़ा स्थित बिरसा मुंडा टाउन हॉल में अंतरजातीय विवाह मुद्दे पर बतौर मुख्य वक्ता अपना वक्तव्य दे रहे थे. उन्होंने कहा कि इन दिनों शिक्षित व नौकरी-चाकरी करने वाले लोग ही सामाजिक परंपरा व रीति-रिवाज के खिलाफ हैं. जिन पर समाज को भरोसा था. वे अंतरजातीय विवाह समर्थन कर रहे हैं. कई लोग लोभ व लालच के लिए भी आदिवासी लड़के-लड़कियों को अपना शिकार बना रहे हैं.
आदिवासी लड़की से विवाह कर उनकी जमीन को हथियाना चाहते हैं. आदिवासी आरक्षण से नौकरी पाकर गैर आदिवासी से विवाह करने वालों पर समाज सख्त है. इसके खिलाफ समाज कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए भी तैयार है. शादी जीवन में एक बार ही होती है, इसे सोच समझ कर करें. ऐसा विवाह नहीं करें, जिससे जीवन तबाह हो जाये. इसी मुद्दे पर प्रो. संजीव कुमार बुढिउलि ने कानूनी पक्ष को रखा. इससे पहले दूसरे दिन का कार्यक्रम की शुरुआत बागुनहातु के देशाउलि में साल का पौधा लगाकर किया. कार्यक्रम का संचालन बीरसिंह बिरूली एवं गब्बर सिंह हेंब्रम ने किया. इसको सफल बनाने में युवा महासभा के अध्यक्ष सुरा बिरूली, राजेश कंडेयांग, सुशील सांवैया, संतोष देवगम, रघुनाथ बोदरा, उपेंद्र बानरा, रवि सांवैया, रवि बारी, कृष्णा बानरा समेत अन्य युवाओं ने दिया.
होगा जनांदोलन: लक्ष्मीधर. ऑल इंडिया हो भाषा लैंग्वेज एक्शन कमेटी के लक्ष्मीधर तियू ने कहा हो भाषा को भारतीय संविधान के आठवीं अनुसूची में शामिल करने के देशव्यापी आंदोलन करने की जरूरत है. पश्चिमी मेदनीपुर से आये तियू ने कहा कि जो जहां कहीं भी रह रहे है वहां सामाजिक, राजनीतिक एवं भाषायी मुद्दे पर समाज के लोगों को एकजुट करें. विस व लोस में हो भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग को रखने के लिए जनप्रतिनिधियाें पर दबाव बनाने की जरूरत है.