जमशेदपुर. टाटा मोटर्स कंपनी में अब आइओडब्ल्यू (इंजर्ड ऑन वर्क) और आइओडी (इंज्यूरी ऑन ड्यूटी) के तहत हुई मौत में आश्रित के परिवार को कंपनी में स्थायी नौकरी मिलना आसान नहीं होगा. बाइ सिक्स कर्मी भूपेंद कुमार सिंह और सिक्यूरिटी कर्मचारी संजय कुमार चटर्जी की दुर्घटना में मौत के बाद अाश्रित को स्थायी नौकरी नहीं […]
जमशेदपुर. टाटा मोटर्स कंपनी में अब आइओडब्ल्यू (इंजर्ड ऑन वर्क) और आइओडी (इंज्यूरी ऑन ड्यूटी) के तहत हुई मौत में आश्रित के परिवार को कंपनी में स्थायी नौकरी मिलना आसान नहीं होगा. बाइ सिक्स कर्मी भूपेंद कुमार सिंह और सिक्यूरिटी कर्मचारी संजय कुमार चटर्जी की दुर्घटना में मौत के बाद अाश्रित को स्थायी नौकरी नहीं मिली. मुआवजा पर प्रबंधन -यूनियन के बीच हुए समझौते से यह स्पष्ट हो गया है.
अाश्रित परिवार को सिर्फ लाइफ कवर स्कीम, भविष्य कल्याण योजना के लाभ से ही संतोष करना होगा. संजय चटर्जी के अाश्रित को ऑन जॉब ट्रेनिंग (ओजेटी ) के तहत एक साल की ट्रेनिंग के उपरांत बाइ सिक्स में बहाल करने पर यूनियन राजी करा पायी थी. जबकि भूपेंद के आश्रित को सीधे बाइ सिक्स में बहाली पर सहमति बनी.
यह भी तय हो गया कि अपने वाहन से कंपनी आने वाले स्थायी या बाइ सिक्स कर्मी के साथ ऐसी घटना होने पर कंपनी में सीधे स्थायी नौकरी नहीं मिलेगी.
बाइ सिक्स से ही रिटायर हो जा रहे कर्मी
टाटा मोटर्स में कई कर्मचारी बाइ सिक्स से ही रिटायर हो जा रहे हैं. कंपनी में लगभग छह हजार बाइ सिक्स हैं. जिस हिसाब से स्थायीकरण हो रहा है, करीब छह हजार को स्थायी होने में 15 से 20 साल लग जायेंगे. मृतक भूपेंद्र पिछले दस साल से बाइ सिक्स थे. उनकी उम्र 52 साल हो गयी थी.