जिला आरटीइ सेल की अोर से उक्त पत्र को भेजे जाने के साथ ही यह भी कहा गया है कि सप्ताहभर के भीतर ही कोटे की सीट पर दाखिले के संबंधित सारी जानकारी उपलब्ध करवायी जाये. गौरतलब है कि शहर में कई ऐसे भी निजी स्कूल हैं, जहां टाटा स्टील के अलावा इससे जुड़ी कई कंपनियों के लिए कोटा फिक्स है. कुछ कंपनियों में 10 फीसदी तक सीट ही सिर्फ सामान्य उम्मीदवारों के लिए ही है, जबकि अल्पसंख्यक स्कूलों में अल्पसंख्यक समुदाय कोटा, टाटा स्टील कोटा, मैनेजमेंट कोटा के बाद काफी कम संख्या में सीटें बचती है, जिससे सामान्य उम्मीदवारों का दाखिला नहीं हो पाता है. उक्त सीटों की जानकारी मिलने के बाद जिला प्रशासन की अोर से कोटा को लेकर कदम उठाये जायेंगे.
लेकिन पिछले दिनों उपायुक्त डॉ अमिताभ कौशल के नेतृत्व में एक बैठक का आयोजन सेंटर फॉर एक्सीलेंस में किया गया था. इसमें उन्होंने भारतीय संविधान की एक प्रति भी सभी प्राइवेट स्कूलों के संचालकों को उपलब्ध करवाया था, जिसमें साफ तौर पर इस बात का उल्लेख किया गया था कि अगर वे लीज की जमीन पर हैं, तो वे परोक्ष रूप से सरकार की सुविधा का लाभ ले रहे हैं, क्योंकि जमीन सरकार की है अौर टाटा स्टील को सरकार ने सस्ती दर पर जमीन दी अौर उस जमीन को टाटा स्टील ने निजी स्कूल को सिर्फ एक रुपये में दे दिया. परोक्ष रूप से निजी स्कूल सरकार की जमीन पर ही बने हैं.
जमीन का असली मालिक सरकार है. इस कारण वे अनएडेड के बजाये एडेड स्कूल हैं. इस पर दो स्कूलों (डीएवी बिष्टुपुर अौर केएसएमएस) ने अपने स्तर से आपत्ति दर्ज की थी, लेकिन अब सभी को कहा जा रहा है कि वे साबित करें कि वे कैसे अनएडेड हैं. इस पत्र के बाद शहर के प्राइवेट स्कूलों में खलबली मचने की उम्मीद है.