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एमएसएमइ: अपने उत्पादों की सूची डाल सकेंगे उद्यमी, केंद्र स्थापित करेगा पोर्टल

आदित्यपुर: भारत सरकार के माइक्रो स्मॉल एंड मीडियम इंटरप्राइजेज (एमएसएमइ) मंत्रालय की ओर से शीघ्र ही प्रोक्योरमेंट पॉलिसी के तहत पोर्टल की स्थापना की जा रही है. अगले माह से यह चालू हो जायेगा. इसमें लघु उद्योगों के उत्पादों की सूची डाली जायेगी, ताकि इन उत्पादों की खरीदारी सरकारी व गैर सरकारी बड़े उद्योग व […]

आदित्यपुर: भारत सरकार के माइक्रो स्मॉल एंड मीडियम इंटरप्राइजेज (एमएसएमइ) मंत्रालय की ओर से शीघ्र ही प्रोक्योरमेंट पॉलिसी के तहत पोर्टल की स्थापना की जा रही है. अगले माह से यह चालू हो जायेगा. इसमें लघु उद्योगों के उत्पादों की सूची डाली जायेगी, ताकि इन उत्पादों की खरीदारी सरकारी व गैर सरकारी बड़े उद्योग व अन्य उपक्रम कर सकें.

उक्त बातें एसिया भवन में राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम (एनएसआइसी) की ओर से आयोजित इंटरेक्टिव सेशन में मंत्रालय के संयुक्त सचिव मनोज जोशी ने उद्यमियों से कही. उद्यमियों की समस्या, बाजार, बैंक से संबंधित मामले व सरकार से उनकी अपेक्षा की जानकारी लेने आये श्री जोशी ने उद्यमियों की ओर से उठायी गयी मांगों पर चरचा की. उन्होंने बताया कि प्रोक्योरमेंट पॉलिसी के प्रावधानों को पिछले साल से आवश्यक बना दिया गया है. इसे ढंग से लागू किया जायेगा. कुछ बड़े उपक्रम अधिक मात्रा में लिये जाने वाले उत्पादों को लघु उद्योगों से नहीं भी ले सकते हैं, लेकिन अपनी आवश्यकता का 20 प्रतिशत उत्पाद लघु उद्योगों से लेना उनका बाध्यता है. इस दिशा में एनएसआइसी की ओर से सिंगल प्वाइंट रजिस्ट्रेशन सिस्टम भी शुरू किया गया है.

उद्योग आधार कार्ड में होगा सुधार

श्री जोशी ने उद्यमियों की मांग पर उद्योग आधार कार्ड में संशोधन की सुविधा बहाल करने का आश्वासन दिया. यदि किसी उद्यमी से उद्योग आधार के लिए की गयी इंट्री में त्रुटि छूट जाती है, तो इसमें फिलहाल सुधार की कोई गुंजाइश नहीं है. संशोधन की सुविधा जिला उद्योग केंद्र या उद्यमियों को व्यक्तिगत रूप से दी जायेगी.

ब्याज दर नहीं घटाया जा सकता

उद्यमियों द्वारा बड़े उद्योगों से अलग लघु उद्योगों को बैंकों द्वारा दिये जाने वाले ऋण की ब्याज दर कम रखने की मांग की गयी. इस पर श्री जोशी ने कहा कि लघु उद्योगों के लिए ब्याज दर घटाया नहीं जा सकता है. यह आरबीआइ द्वारा तय किया जाता है. सभी ऋणों के लिए एक ब्याज दर लगाना कठिन है.

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