प्रदर्शन के बाद उपायुक्त के माध्यम से राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा है. ज्ञापन में कहा है कि बिहार के समय से बांग्ला भाषा एवं संस्कृति की उपेक्षा होती रही है. झारखंड बनने के 15 साल बाद भी जितना सम्मान व अधिकार मिलना चाहिये वह नहीं मिला है. राज्य में बांग्लाभाषी स्वयं को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं. राज्य में 42 प्रतिशत से ज्यादा बांग्ला भाषी रहते हैं, लेकिन इनके हित में सरकार द्वारा कोई कार्य नहीं किया गया है.
2011 में पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने संताली अौर बांग्ला को द्वितीय राजभाषा का दरजा देने की मंजूरी प्रदान की थी, लेकिन इसे वास्तविक रूप से लागू नहीं किया गया है. प्रतिनिधिमंडल में अमल संघ के महा सचिव संदीप सिन्हा चौधरी, झारखंड बंगभाषी समन्वय समिति के उपाध्यक्ष नेपाल चंद्र दास, सदस्य विश्वजीत मंडल, सरायकेला के शिक्षक डॉ वीरेन महतो, झारखंड बंगाली एसोसिएशन के सदस्य संजय रॉय, अमल संघ के उपाध्यक्ष देवाशीष लहिरी, संयुक्त सचिव मनोरंजन सरकार, न्यू फार्म एरिया दुर्गापूजा कमेटी के उपाध्यक्ष पल्लव दलाल, संयुक्त सचिव चित्रदीप भट्टाचार्य आदि शामिल थे.