जमशेदपुर: जुलूस ए मोहम्मदी के आयोजनकर्ता तंजीम-ए-अहले सुन्नत व जमाअत से अपील की गयी है कि आयोजन के समापन के बाद मंच को राजनीतिज्ञों का मंच नहीं बनने दिया जाय. अकीदत में किसी तरह की सियासत अब बरदाश्त नहीं की जायेगी. झारखंड अकलीयती मोत्तेहदा महाज ने जमाअत के प्रमुखों को पत्र लिखकर यह गुजारिश की है.
महाज के अध्यक्ष अनवर अली और महासचिव अब्बास अंसारी ने पत्र लिख कर कहा है कि अगर इस सुझाव को टालने और मनमानी करने की कोशिश की गयी, तो इसका पुरजोर विरोध होगा. उन्होंने कहा कि ऐसे में राजनीति से जुड़े लोगों को मंच से उतार दिया जायेगा. इस संबंध में आयोजन समिति के महासचिव डॉ जियाउल मुस्तफा को पत्र सौंपा गया है, जिसमें दो दिन में स्थिति स्पष्ट करने को कहा गया है.
अनवर अली ने कहा कि तंजीम अहले सुन्नत जुलूस का आयोजन कर उसमें सबको शामिल होने का मौका देती है. पवित्र जुलूस के जलसा के दौरान स्टेज पर सियासी शख्सियतों को बुलाकर अकीदतमंदों को मायूस और गुमराह करने की कोशिश की जाती है. यह कदम हुजूर की शान में बेअदबी और राजनीतिक हथकंडा है. जुलूस का नेतृत्व केवल उलेमा-ए-दीन द्वारा किया जाना चाहिए और स्टेज पर भी इन्हें ही स्थान मिलना चाहिए. ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने वालों में मदरसा जामेतुल निशा के वानी और प्रबंधक अल्हाज नूरु जमा खां, रूहानी मरकज के अध्यक्ष सह पूर्व विधायक हसन रिजवी, ऑल इंडिया माइनॉरिटी फ्रंट के महासचिव बाबर खान, पीस पार्टी के प्रमुख फखरुद्दीन अंसारी, शोहदा ए करबला कमेटी के प्रमुख शौकत हुसैन, सेंट्रल मुहर्रम अखाड़ा के सदर हसीन अहमद, शोहदा ए करबला कमेटी के संरक्षक एकराम खान, मदरसा इसलामिया के नायब सदर जफीरुद्दीन कलाल प्रमुख हैं.