मैट्रिक व इंटर में अनुमान से कम अंक मिलने पर हुई थी निराशा 3आपका काम मेहनत करना है, परिणाम आपके हाथ में नहीं जय कुमार, आयुक्त, क्षेत्रीय भविष्य निधि मैंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा दरभंगा के होली क्रॉस कॉन्वेंट स्कूल से पूरी की. यहां मैं 7वीं तक ही पढ़ सका. इसके बाद मैंने एमएल एकेडमी में दाखिला लिया. दसवीं की परीक्षा मैंने यहीं से दी. मैट्रिक का जब रिजल्ट आया तो मैं अचंभित हो गया. विज्ञान व गणित में मेरे मार्क्स कम थे. कहां तो मैं टॉप 5 में रहा करता था. ऐसा रिजल्ट मेरे कल्पना से परे था. इस कारण पटना के जिस कॉलेज में मैं एडमिशन चाहता था वहां नहीं हो पाया. यदि स्टूडेंट एक्सट्रा करिकुलर एक्टिविटी में पारंगत है तो उसे वरीयता मिलती थी. मैं सितार वादन में पारंगत था. मेरा परफॉर्मेंस बेहतर होने के बावजूद मुझे सेलेक्ट नहीं किया गया. उस वक्त मैं इतनी निराशा में था कि मैं चाहता था हर परीक्षा वीडियो रिकॉर्डिंग के दायरे में होनी चाहिए. इस बीच मैं इतना जरुर समझ गया था कि सफल अभिभावकों के बच्चों का एडमिशन आसानी से हो जाता है लेकिन जो हकदार है वह लाइन में खड़े रहते हैं. तीसरा झटका मुझे आईएससी के परीक्षा के बाद लगा. सब पेपर में मेरे एवरेज मार्किंग को देख मानो ऐसा लगा कि मेरे आंखों के सामने ही मेरी मौत हो गयी हो. इस बात को मैंने टीचर के सामने रखा तो उन्होंने यह कहकर कि “पास तो हो गये हो ना ” मेरे जले पर नमक छिड़कने का काम किया. मेरे जीवन का यह वह दौर था जब बिहार स्कूल एजुकेशन बोर्ड व बिहार इंटरमीडिएट एजुकेशन काउंसिल की कार्यप्रणाली से मेरा विश्वास उठ गया था. यह खुश किश्मती थी कि मेरे माता-पिता का विश्वास मुझ पर था. उस दौरान मैंने यह सीखा कि आपका काम मेहनत करना है, परिणाम आपके हाथ में नहीं. साथ ही पक्का मन बना लिया था कि मैं उसी फिल्ड में जाउंगा जहां नेशनल लेवल पर परखा जाता हो. ग्रेजुएशन की पढ़ायी मैंने आर्ट्स से पूरी की. 88-91 के दौर में मैं 59 फीसदी ही स्कोर कर सका. तब भी मेरा हौसला नहीं टूटा क्योंकि मुझपर मेरे परिवार का विश्वास था. ऐसे में मैं सामाजिक भटकाव को भूल प्रतियोगी परीक्षाओं में डूब गया. अनंत: मैंने अपने लक्ष्य को हासिल किया. माता पिता संतान पर ना थोपे इच्छाएं माता-पिता को अपने बच्चे पर इच्छाएं नहीं थोपनी चाहिए. उनका मार्गदर्शन करना चाहिए, मित्र बनना चाहिए. बच्चे के सपने को पूरा करने में सहयोग करना चाहिए. क्योंकि यह हकीकत है कि एक ही मां-पिता के बच्चों में कोई लेखक बनता है तो कई साइंटिस्ट. वहीं स्टूडेंट्स को सपना देखना नहीं छोड़ना चाहिए. अपने सपने को लक्ष्य बनाकर उसका पीछा करना चाहिए.
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मैट्रिक व इंटर में अनुमान से कम अंक मिलने पर हुई थी निराशा 3
मैट्रिक व इंटर में अनुमान से कम अंक मिलने पर हुई थी निराशा 3आपका काम मेहनत करना है, परिणाम आपके हाथ में नहीं जय कुमार, आयुक्त, क्षेत्रीय भविष्य निधि मैंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा दरभंगा के होली क्रॉस कॉन्वेंट स्कूल से पूरी की. यहां मैं 7वीं तक ही पढ़ सका. इसके बाद मैंने एमएल एकेडमी में […]
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